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३०८. तार : डा॰ प्राणजीवन मेहताको[१]

[८ अप्रैल, १९२४]

प्राणजीवन
रंगून
मणिलाल अहमदाबादसे आज रवाना।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६९२) की फोटो-नकलसे।
 

३०९. पत्र : जयशंकर त्रिवेदीको

अन्धेरी
चैत्र सुदी ४ [८ अप्रैल, १९२४][२]

भाईश्री जयशंकर त्रिवेदी[३],

आपको पत्र लिखूँ-लिखूँ कर रहा था कि इतनेमें आपका पत्र मिल गया। आपको पहले पत्र नहीं लिख सका इसके लिए मैं लज्जित हूँ। लिखना तो इतना ही था कि मैं आपके प्रेमको भूल नहीं सका हूँ। मैंने ऐसे लोग दुनियामें कम ही देखे हैं जो अहंकार छोड़कर दूसरोंकी भलाई करते हैं। आप उन्हीं में से हैं। मैं बरसोंसे यह देखता आ रहा हूँ और उससे मुझे प्रसन्नता होती रही है।

आपने मोटरगाड़ी खरीद ली, यह अच्छा किया।

मोहनदासके वन्देमातरम्

मूल गुजराती पत्र ( जी॰ एन॰ ९९८) की फोटो-नकलसे।
  1. यह मणिलालके ७ अप्रैल, १९२४ को दिये गये निम्न तारके सम्बन्धमें दिया गया था : "कल दिल्लीके रास्ते रंगूनको रवाना हो रहा हूँ। कृपया बर्माके भारतीयों, मुख्यतः गुजरातियों और बर्मियों, के नाम कोई सन्देश भेजें, मार्फत सेठ जमनालालजी, १२८, कैनिंग स्ट्रीट, कलकत्ता।"
  2. १९२४ में चैत्र सुदी चतुर्थी ८ अप्रैल की थी।
  3. पूना कृषि कालेजमें कृषि-सम्बन्धी इंजीनियरीके प्राध्यापक।