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सत्याग्रह और समाज-सुधार


स्वामीजीने मौलानाके इस पत्रका स्वागत किया है और उनके दिलकी सफाईपर उन्हें धन्यवाद दिया है। उन्होंने मौलानाको हिन्दुओंका मित्र माना है और जिन लोगोंने मौलानापर इलजाम लगाया था और इस प्रस्तावको सूचना दी थी कि उन्हें कांग्रेस से इस्तीफा दे देना चाहिए उनसे अपनी सूचना वापस लेनेका अनुरोध किया है। परन्तु साथ ही उन्होंने उन्हें यह भी बताया है कि उनके धर्मके अनुसार तो अकेले सिद्धान्त की कोई कीमत नहीं है। मनुष्यके शील और आचारसे ही उसकी कीमत आँकी जाती है। इसका जवाब देकर मौलानाने स्वामीजीके पत्रकी शंका भी दूर कर दी है। मौलाना यह बात नहीं मानते कि सिद्धान्तीको अपने सिद्धान्तके अनुसार आचरण करने की जरूरत नहीं। उन्होंने तो सिर्फ दो सिद्धान्त-सरणियोंकी तुलना की थी और बताया था कि दोनोंमें ऊँचा कौन है। सिद्धान्त बहुत अच्छे हों, किन्तु यदि जाननेवाला उनके अनुसार न चले तो उसे कुछ फल नहीं मिलता—यह बात उन्होंने अपने दूसरे पत्र में प्रकट की है।[१]

इसलिए मौलाना मुहम्मद अलीके कथनका तात्पर्य सिर्फ इतना ही निकलता है कि सबको अपना-अपना धर्म अच्छा मालूम होता है। इस बातका विरोध कौन हिन्दू कर सकता है? यह राईका पर्वत किस प्रकार हुआ और इसके न होने देनेका उपाय क्या है, इसपर विचार फिर कभी करेंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १३-४-१९२४
 

३३५. सत्याग्रह और समाज-सुधार

लोग सत्याग्रहके सिद्धान्तको ज्यों-ज्यों समझते जाते हैं त्यों-त्यों उसका उपयोग नये-नये क्षेत्रों में किया जा रहा है। केवल सरकारसे लड़ने में ही नहीं बल्कि कुटुम्बों और जातियोंके क्षेत्रमें भी उसका उपयोग होता दिखाई दे रहा है। एक जाति में कन्या-विक्रयका घातक रिवाज है। एक नौजवानको उसे रोकनेकी प्रेरणा हुई है। उसने यह सवाल उठाया है कि उसे क्या करना चाहिए। सत्याग्रहका सुगम अंग असहयोग है। यह नौजवान इस जाति में कन्या विक्रयकी प्रथाको रोकना चाहता है। विचार निर्दोष है; परन्तु सवाल यह है कि वह असहयोगका अवलम्बन करे या नहीं? यदि करे तो किस तरह करे और किसके खिलाफ करे?

प्रस्तुत मामले में निश्चित राय देना कठिन है। हाँ, ऐसे सभी मौकोंके लिए कुछ सर्व सामान्य नियम बताये जा सकते हैं।

पहले तो असहयोगका प्रयोग एकाएक किया ही नहीं जा सकता। जो बुरे रिवाज एक जमानेसे चले आ रहे हैं, वे एक क्षणमें नष्ट नहीं किये जा सकते। सुधार एक टाँगका होता है इसलिए वह लँगड़ाकर चलता है। जो मनुष्य धीरज खो बैठता

  1. देखिए परिशिष्ट १३ (ख)।