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३४०. तार : टी॰ आर॰ कृष्णस्वामी अय्यरको।[१]

[अन्धेरी
१४ अप्रैल, १९२४]

[कृष्णस्वामी
मार्फत 'न्यूज'
कोची]

इतनी सारी गिरफ्तारियोंपर आपको मुबारकबाद। उचित व्यवस्था किये बिना स्वयं गिरफ्तार न हों। मैं फिर तार करूँगा। वहाँकी स्थितिका विवरण भेजिए। पत्र लिख रहा हूँ।[२]

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०२७७) से।
 

३४१. पत्र : एच॰ जी॰ पैरीको[३]

बम्बई
[१४ अप्रैल, १९२४ या उसके पश्चात्]

प्रिय श्री पैरी,

आप यदि आगामी रविवारको दिनमें २ बजे मुझसे मिलनेकी कृपा करें तो मुझे प्रसन्नता होगी। मेरे पास कहने को कुछ ज्यादा होगा या नहीं, सो नहीं जानता। कारण यह है कि स्वराज्यवादी नेताओंसे मेरी बातचीत अभी समाप्त नहीं हुई है।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७२८) की फोटो-नकलसे।
  1. यह तार श्री अय्यरके निम्नलिखित तारके उत्तरमें भेजा गया था : "सब नेता गिरफ्तार हो चुके हैं। स्वयंसेवक लोग रोके जानेपर, १० तारीखके प्रातःकालसे जहाँ के तहाँ बैठे हैं। कोई स्वयंसेवक गिरफ्तार नहीं किया गया है। मैं कोचीनमें प्रतीक्षा कर रहा हूँ। वाइकोम जाऊँ तो गिरफ्तारी निश्चित। कृपया किसी व्यक्तिको नेतृत्वके लिए भेजिए।"
  2. इसका उत्तर कृष्णस्वामीने इस प्रकार दिया : "आपका सन्देश मिला, धन्यवाद। व्यवस्था की जा रही है। सत्याग्रही लोग प्रसन्नतापूर्वक डटे हुए हैं। अनशन समाप्त करनेके बारेमें हिदायत दे दी है। सत्याग्रहका मुख्य कार्यालय यहाँ रखा है। मेरी देखरेख में।"
  3. यह पत्र श्री पैरीके १४ अप्रैलके पत्रके उत्तरमें भेजा गया था, जिसमें उन्होंने गांधीजीसे पूछा था कि लन्दनके डेली एक्सप्रेस अखबारके लिए वे एक छोटी-सी भेंट दे सकेंगे या नहीं। श्री पैरीने भेंटका विषय यह बताया था : "वर्तमान माँगें और स्वराज्य-प्राप्ति के लिए नये सुझाव"।