पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

५. प्राक्कथन

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
५ मार्च, १९२२

तीन महीनेसे ज्यादा समय हो गया, शराब और मादक वस्तुओंकी बुराईपर श्री बदरुल हसन द्वारा लिखी पुस्तककी टाइप की हुई पाण्डुलिपि मेरी मेजपर पड़ी हुई हैं। मैं उसे पढ़कर काफी लम्बा प्राक्कथन लिखना चाहता था और इसीलिए प्राक्कथन लिखना मुल्तवी करता रहा। पर अब इसे और मुल्तवी नहीं किया जा सकता।

श्री बदरुल हसन कई महीनेतक मुझे साप्ताहिक 'यंग इंडिया' के प्रकाशनमें मदद देते रहे हैं। 'यंग इंडिया' के पाठकोंको शराब और अफीमखोरीकी लतोंपर लिखे लेखोंका स्मरण होगा। उनसे सरकारी रिपोर्टों और क्रमबद्ध आँकड़ोंका गहरा अध्ययन प्रकट होता है। पाठकोंके सामने अब जो पुस्तक प्रस्तुत है, उसमें 'यंग इंडिया' में प्रकाशित श्री बदरुल हसनके लेखोंको ही परिवधित और विस्तृत रूपमें पुनः प्रकाशित किया गया है। जो इन्हें पढ़ेगा वह लाभ ही उठायेगा और जो सुधारक भारतको इस दोहरे दोषसे मुक्त करानेपर तुला है, उसे भी इससे अवश्य मदद मिलेगी। श्री बदरुल हसनकी पुस्तकको पढ़नेसे पता चलता है कि इस आदतको किस तरह सरकारकी नीतिसे बढ़ावा मिला है। पुस्तकमें जो तथ्य और आँकड़ें पाठकोंके सामने प्रस्तुत किये गये हैं, उनसे साफतौरपर पता चलता है कि भारतके लोगोंकी इन दोनों बुरी लतोंका सरकारने लाभ उठाकर पैसा कमाया है। ये दोनों दोष भारतमें ही बहुत शुरूसे मौजूद थे, इस तर्कको किसी तरहकी सफाईके रूपमें पेश नहीं किया जा सकता। राजस्व बढ़ाने के लिए वर्त्तमान सरकारने इस बुराईको जितना संगठित रूप दिया, उतना अन्य किसीने कभी नहीं दिया था। परन्तु मुझे लेखकके निष्कर्षोंको पहलेसे ही जाहिर नहीं कर देना चाहिए। तरुण लेखकको स्वयं अपनी बात सिद्ध करने दीजिए।

मो॰ क॰ गांधो

ड्रिक ऐन्ड ड्रग इविल इन इंडिया

२३–२