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तार : च॰ राजगोपालाचारीको

सम्बन्ध में कुछ कहने को तैयार नहीं थे। बेशक पण्डित मोतीलाल नेहरूके साथ बातचीत चल रही है। वे जुहूमें महात्मा गांधीके निवास स्थानसे कुछ ही फासलेपर ठहरे हुए हैं। लेकिन महात्माजी अच्छी तरह जानते-समझते हैं कि स्वराज्यवादी लोगोंने कौंसिल में क्या काम किया है।

हमारे प्रतिनिधिके इस प्रश्नके उत्तरमें कि "क्या आप अपनी रिहाईके लिए स्वराज्यवादियोंको श्रेय देते हैं?", महात्माजीने मुस्कराते हुए तत्काल कहा :

मेरी रिहाईका कितना श्रेय किसको है, यह बात अगर मुझे कहनी ही हो तो मैं समझता हूँ कि स्वराज्यवादियोंने जो स्थिति अपनाई वह मेरी रिहाईका एक मुख्य कारण थी।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १७-४-१९२४
 

३४४. तार : च॰ राजगोपालाचारीको

अन्धेरी
[१५ अप्रैल, १९२४ या उसके पश्चात्][१]


अनशनके बारेमें मेरा उत्तर समाचारपत्रोंमें[२] प्रकाशित। भूख हड़ताल अवैध। मेरा विचार है कि वाइकोम सत्याग्रह मेरी सुझाई गई शर्तोंके अनुसार जारी रखा जाये।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०२८०) की फोटो-नकलसे।
  1. यह तार श्री राजगोपालाचारीके इस आशयके तारके उत्तर में भेजा गया था कि बाहरसे नेताओं और धनकी मदद मिले बिना केरल अपने-आपको असमर्थ पाता है। मैं खुद अपनी अवस्थाके कारण संघर्ष नहीं चला सकता। तमिलनाडु खादीके कामको नुकसान पहुँचाकर ही आदमी भेज सकता है।. . .स्वयं-सेवक अभी गिरफ्तार नहीं किये जा रहे है।. . .भूख हड़तालके अलावा कोई उपाय नहीं है, आप सलाह दें।" यह तार गांधीजीको १५ अप्रैल को मिला था। (एस॰ एन॰ १०२८०)
  2. तात्पये १२ अप्रैलको जॉर्ज जोजेफको भेजे गांधीजीके तार और पत्रसे है; देखिए "भेंट : एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिसे", १३-४-१९२४।