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चरखेकी गुनगुन
सकता हूँ; हरिजन लोग जो सूत कातें उसके लिए बाजार सुलभ बनाकर उनकी आर्थिक दशा सुधार सकता हूँ; में देशवासियों को आत्म-सम्मान तथा आत्म-विश्वासका पाठ पढ़ाकर भारतमें सच्ची शान्ति स्थापित कर सकता हूँ और इस प्रकार दूसरे राष्ट्रोंका भारतके शोषणके इरादेसे यहाँ आना बिलकुल असम्भव कर सकता हूँ। मैं जीवनमें सादगी ला सकता हूँ और सम्पन्न लोगोंको मिल मजदूरोंसे बातचीत करनेके लिए बाध्य कर सकता हूँ। मैं कारखानोंकी प्रणालीका उन्मूलन करके और इस प्रकार मजदूरोंकी निरन्तर बढ़ती हुई आपदाओंका अन्त करके, तथा सत्ताकी लोलुपता और महत्त्वाकांक्षाके लिए खतरा बनकर, पूँजीपतियोंका गर्व खर्व कर सकता हूँ। इस प्रकार में शान्तिका अग्रदूत हूँ। भारतके आर्थिक स्वास्थ्यको वापस लौटा लानेवाला धन्वन्तरि और धनका निष्पक्ष वितरक हूँ।
किन्तु शालाओंके विद्यार्थियोंके लिए में कुछ और भी हूँ; मैं उनकी योग्यताका परीक्षक हूँ। मैं उनके स्वभावका मापक यन्त्र हूँ। मुझे कोई भड़भड़िया बालक दीजिए, और मैं एकदम बता दूँगा कि वह भड़भड़िया है, क्योंकि उसका सूत बिन बटा हुआ और असमान होगा। किसी गम्भीर लड़के के हाथमें दीजिए, मैं एकदम जान जाऊँगा कि उसका भविष्य उज्ज्वल है। क्योंकि उसका एक-सा सूत सधे हुए हाथका सूचक होगा।
में केवल परीक्षक ही नहीं, शिक्षक भी हूँ। यदि कोई बालक मुझे रोज चलाये तो में उसके मनको इतनी अच्छी तरह प्रशिक्षित कर सकता हूँ कि यदि वह मुझसे प्रमाण-पत्र लेकर लखनऊके जॉर्ज अस्पतालमें जाये तो अच्छा शल्य-चिकित्सक बन जायेगा। उसकी शल्य क्रिया प्रायः सफल होगी और उसकी परख बिलकुल सच्ची होगी। मैं दावेके साथ कहता हूँ कि नियमित रूपसे कताई करनेवाला बालक अच्छा गणितशास्त्री बन सकता है, क्योंकि एक ही नियम दोनों विद्याओंका नियमन करता है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि कातना व्यावहारिक गणित है। यदि आप उसमें भूल करेंगे, तो आपकी भूल तुरन्त पकड़में आ जायेगी। जैसे मोथरा उस्तरा हजामत बिगाड़ देता है, जैसे तेजाब तसवीरका सत्यानाश कर देता है और जैसे श्रद्धाके बिना अर्चना व्यर्थ हो जाती है, उसी प्रकार विद्यार्थी एकाग्रताके बिना, उसे चाहे जितना पढ़ाया जाये, कुछ ग्रहण नहीं कर पाता। और आजके युवकों में एकाग्रताका नितान्त अभाव है। में बालकों को एकाग्रताम प्रशिक्षित करनेका विशेषज्ञ हूँ; और जो बालक मुझसे मित्रता करेंगे उनके बारेमें मेरा दावा है कि इस दिशा में मैं उनका बहुत हित करूँगा।
[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १७-४-१९२४