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ही है, आज हो या कल। सरकार की ओरसे एक नई ज्यादती शुरू हो गई है। वह उन निर्दोष लोगोंको जेल भेज रही है जो पूजा-अर्चना करने वहाँ जाते हैं। ऐसे यात्रियोंके दलको भी उसने गैर-कानूनी जमात करार दे दिया है। अब देखना है कि बहादुर सिखों को डरानेके लिए सरकार और क्या-क्या करती है। परन्तु यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि सिखोंकी ओरसे सरकारके किसी भी हमलेका क्या जवाब मिलेगा। दमन चक्र ज्यों-ज्यों तेज चलेगा त्यों-त्यों सिख 'करो या मरो' के अपने संकल्पपर और भी दृढ़ होते चले जायेंगे।

वाइकोम सत्याग्रह

वाइकोमका नाम अभीतक त्रावणकोर अथवा मद्रास अहातेके बाहर शायद ही सुना गया हो। परन्तु सत्याग्रहका क्षेत्र बन जानेके कारण वह एकाएक विख्यात हो गया। वहाँ सत्याग्रहका दैनिक विवरण अखबारोंमें हर रोज प्रकाशित होता है। यह आन्दोलन त्रावणकोरके अछूतोंकी ओरसे चलाया गया है। इसके द्वारा हमें दलित वर्गोंकी दशाका वर्णन करने के लिए एक नया शब्द उपलब्ध हुआ है। वह शब्द है अनुपगम्यता। हमारे ये बेचारे देशवासी किसी भी सवर्ण हिन्दूका स्पर्श नहीं कर सकते, इतना ही नहीं वे उसके समीप भी नहीं जा सकते; एक निश्चित दूरीपर ही उन्हें रहना होता है। इस समूची बुराईको दूर करनेकी बजाय आन्दोलनके नेताओंने इसके एक अंशमात्रको हाथमें लिया है। यह इस खयालसे कि यदि इसमें सफलता मिल गई तो कमसे कम जहाँ आन्दोलन चलाया जा रहा है वहाँ वे अस्पृश्यताको समाप्त कर पायेंगे। इस लड़ाईको चलाते हुए मलाबार के कुछ अत्यन्त निष्ठावान कार्यकर्त्ता जेल भेजे गये हैं और उनमें 'यंग इंडिया' के मुझसे पहलेके सम्पादक श्री जॉर्ज जोजेफ भी हैं।

कितने ही स्थानीय नेताओंके जेल जाने के कारण अब हिन्दुस्तान के नेताओंसे प्रार्थना की गई है कि वे वहाँ जाकर मदद करें। यह अनुरोध स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं, इसका विचार यहाँ अनावश्यक है, क्योंकि ऐसा लगता है कि मद्रास पूरी तौरपर संघर्ष में भाग लेनेके लिए तैयार हो गया है। अब पीछे हटनेकी तो कोई बात ही नहीं हो सकती। यदि पुराने खयालके हिन्दू इस हलचलका सख्त विरोध करें तो सम्भव है कि लड़ाई ज्यादा दिनोंतक चले। यदि सत्याग्रही लोग नम्रता और दृढ़ता के साथ सत्य और अहिंसापर अविचल रहेंगे तो दुराग्रहकी कठिन से कठिन और मजबूत से मजबूत दीवारें भी टूटे बिना नहीं रह सकतीं। सत्य और अहिंसापर उनकी इतनी श्रद्धा तो अवश्य होनी चाहिए कि उनमें यह विश्वास पैदा हो जाये कि ये सद्गुण कठोरसे-कठोर दिलको भी पिघला सकते हैं।

मद्यपानकी रोकथाम

श्री एन्ड्रयूजने बंगाल सेवक संघ के मन्त्री द्वारा किये गये एक प्रश्नका उत्तर देनेका प्रयास किया है। प्रश्न यह है कि मद्यपान-जैसी बुरी आदतकी रोक-थाम कैसे की जाये। श्री एन्ड्रयूजने पुसीफुट जॉन्सन द्वारा अपनाये गये मार्गका अनुसरण करनेको कहा है। जिस समय पुसीफुट जॉन्सन कुछ अंग्रेज विद्यार्थियोंको मद्यपानसे विरत