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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हित में उनपर नम्रभावसे गम्भीरतापूर्वक विचार किया जाये। स्व॰ सेसिल रोड्सने[१] कई बरस पहले ही कुछ नीतियोंको "दिखावटी ईमानदारी" या "सन्दिग्ध सद्व्यवहार" बताकर, इस पाखण्डका पर्दाफाश कर दिया था। परन्तु यह बुराई उस महापुरुषकी भर्त्सना के बावजूद अभीतक बरकरार है। यह ठीक है कि उन्होंने भी अनेक बार गलती की, परन्तु उन्होंने उन गलतियोंपर पर्दा डालने की कोशिश नहीं की और इस तरह अपनी महानता और भलमनसीका परिचय दिया। केनिया में ब्रिटिश सरकारकी नीति निर्दोष आफ्रिकियोंके भयंकर शोषणपर हमेशा पर्दा डाले रहने की ही रही है।

लड़नेपर आमादा श्री पेनिंगटन

लड़नेपर आमादा श्री पेनिंगटनने फ्रांससे मेरे पूर्ववर्ती सम्पादकके नाम यह पत्र भेजा था :

भारत सरकारका एक बहुत पुराना अधिकारी होनेकी हैसियतसे में आपके द्वारा सम्पादित 'यंग इंडिया' बहुत ध्यानसे पढ़ा करता हूँ, ताकि यह समझ पाऊँ कि ब्रिटिश राज्यको असम्भव बना देनेके बाद आप खुद उसका शासन किस तरह चलायेंगे। कदाचित् आप यह स्वीकार करेंगे कि हम ब्रिटिश लोग समझते हैं कि भारत में आन्तरिक एवं बाह्य शान्ति कायम रखनेका उत्तरदायित्व हम लोगोंपर ही है और इस कर्त्तव्यको हमें निबाहना है। हमारा यह भी खयाल है कि इस दायित्वको हम केवल उन लोगोंके हाथोंमें ही सौंप सकते हैं। जो शासन करने योग्य सरकार बना सकते हों। मेरे मनमें श्री गांधी तथा अनेक स्वराजियोंके प्रति अत्यधिक आवर-भाव है। परन्तु क्या आप सच्चे दिलसे यह मानते हैं कि उनके द्वारा बनाई गई कोई भी सरकार ब्रिटिश संगीनोंकी मददके बिना उस बड़े देशका शासन-तन्त्र चला सकती है?
यदि स्वराजी लोगोंने यह प्रमाणित कर दिया होता कि वे मॉन्टेग्यु योजनाके अन्तर्गत अपने देशके मामलोंकी १० वर्षके स्वल्प काल तक थोड़ी-बहुत व्यवस्था कर सकनेकी साधारण क्षमता भी रखते हैं तो औपनिवेशिक ढाँचेकी कोई-न-कोई ऐसी शासन व्यवस्था भारतके लिए तैयार कर दी गई होती, जिसे व्यावहारिक रूपसे चलाया जा सकता था। परन्तु अभीतक तो स्वराजी लोग केवल इतना ही दिखा पाये हैं कि प्रातिनिधिक शासन व्यवस्थाको किस प्रकार असम्भव बनाया जा सकता है, और इसीलिए उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि देशको वर्त्तमान अवस्थामें उसी पुरानी प्रणालीका चलते रहना ज्यादा ठीक होगा। सम्भव है कि पुराने शासन-तन्त्रमें भारतीय प्रतिनिधियोंकी संख्या और बढ़ाकर कोई नई शासन योजना निर्मित की जाये और उसे आजमाया जाये। इस प्रकारका सुझाव बहुत साल पहले डोनाल्ड स्मीटनने रखा
  1. १८५३–१९०२; केप कालोनीके प्रधानमन्त्री, १८९०–९६।