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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
लिए यह सदैव आवश्यक तो नहीं कि उसकी तुलना श्रद्धेय पैगम्बरोंसे की ही जाये, किन्तु कभी-कभी श्रोताओंको अथवा जनताको किसी व्यक्तिकी महानता समझान के लिए अन्य सम्मानित मनुष्यों अथवा श्रद्धेय पैगम्बरोंके साथ उनकी तुलना करना न तो अस्वाभाविक होता है, न अशोभनीय। श्री एन्ड्रयूजने कई बार श्री गांधीको ईसा मसीहकी सच्ची प्रतिमूर्ति कहा है। यह बिलकुल सम्भव है कि जिस व्यक्तिकी तुलना की जा रही है वह व्यक्ति श्रद्धेय पैगम्बरोंका समकक्षी बनने योग्य न हो। यह बिलकुल अलग बात है। किन्तु किसीके तुलना करनेके सिद्धान्तपर आपत्ति उठाना न्याययुक्त कैसे ठहराया जा सकता है? तिब्बिया कालेजका वह मुसलमान विद्यार्थी कदाचित् श्री गांधीको ईसा मसीहकी तुलनाके अयोग्य समझता हो; यदि ऐसा था तो उसे ऐसा मानने और श्रोताओंके समक्ष कहनेका उसी प्रकार पूरा अधिकार था, जैसे किसी हिन्दू विद्यार्थीको अपनी राय व्यक्त करनेका। ऐसा मतभेद समझमें आ सकता है। इसपर किसीको कोई आपत्ति नहीं। किन्तु यहाँ तो मामला कुछ और ही था। बात यह नहीं है कि जब एक हिन्दू विद्यार्थीने श्री गांधीकी तुलना ईसा मसीहसे की तो एक मुसलमान विद्यार्थीने गांधीजीकी पात्रता सम्बन्धमें कोई शंका उठाकर हिन्दू विद्यार्थियोंके मूल्यांकनसे मतभेद प्रकट किया; बल्कि बात यह है कि उसने तुलना करनेपर ही आपत्ति की, और कहा कि किसी भी जीवित व्यक्तिकी तुलना, चाहे वह सभी प्रकारसे कितना ही महान् और प्रभावशाली क्यों न हो, पैगम्बरोंसे नहीं की जानी चाहिए। मेरी समझमें नहीं आता कि ऐसी आपत्ति न्याय संगत कैसे मानी जा सकती है। पहलेके वे पैगम्बर मनुष्य थे, और उनकी तरहके मानव आज हमारे बीच हो सकते हैं और भविष्य में भी होंगे ही। तब इसमें हर्ज ही क्या है अगर कुछ लोगों द्वारा पैगम्बरोंकी तरह माने जानेवाले और हमारे बीच मौजूद अपने कुछ सन्तों और महामानवोंकी तुलना हम पहले के पैगम्बरोंसे करें? बौद्धिक, नैतिक अथवा आध्यात्मिक दृष्टिसे ऐसा करनेमें गलत कुछ नहीं है।
जिस व्यक्तिकी इस प्रकार तुलना की जाये वह अपने शीलके कारण ऐसी तुलनाको अनुचित बतला सकता है; किन्तु यह दूसरी बात है। अतः मैं समझता हूँ कि मुसलमान विद्यार्थीकी आपतिको न्याय-संगत मानना अपनी अभिव्यक्ति के स्वातन्त्र्यको कम करना है और अप्रत्यक्ष रूपसे असहिष्णुताकी प्रचलित भावनाको प्रोत्साहन देना है। मुझे विश्वास है कि आप ऐसा प्रोत्साहन कदापि नहीं देना चाहेंगे।

आपका,
घनश्याम जेठानन्द

हीराबाद
हैदराबाद (सिन्ध)