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३७१. आचार बनाम विचार

मौलाना मुहम्मद अलीके इस्लाम-विषयक भाषणकी चर्चा अभी समाचारपत्रों में चल ही रही है। मैं देखता हूँ कि आचार और विचारमें उन्होंने जो भेद किया है उसे कितने ही समझदार और विवेकवान् सज्जन् भी नहीं समझ पाये हैं और यदि समझे हैं तो उस विषय में बोलते और लिखते समय उसे भूल जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि उनके दिलमें उस भेदका ज्ञान गहरा नहीं बैठा है। अतएव मौलाना साहबके बताये भेदको बार-बार समझना जरूरी है। वे मानते हैं कि—

(१) मनुष्यके आचार और विचारमें भेद होता है।
(२) श्रेष्ठ विचारवालेका आचार बुरा हो सकता है।
(३) श्रेष्ठ आचारवाले के विचार दूसरोंके विचारोंके मुकाबले में हीन हो सकते हैं।

यहाँ विचारका अर्थ है विश्वास, धर्म-मत, धर्म—जैसे ईसाई मतमें ईसा मसीहका अप्रतिभ ईश्वरत्व, इस्लामका यह विश्वास कि ईश्वर एक है और मुहम्मद साहब उसके पैगम्बर हैं। हिन्दू धर्म में (मेरे विचारके अनुसार) सत्य और अहिंसाकी श्रेष्ठता मानी गई है

"सत्यान्नास्ति परो धर्मः"। "अहिंसा परमो धर्मः"।
पूर्वोक्त सिद्धान्तोंके अनुसार मौलाना साहबने कहा था :
मुसलमानकी हैसियतसे में मानता हूँ कि श्रेष्ठ आचारवाले गांधी धर्म-विचार (धार्मिक विश्वास) की अपेक्षा व्यभिचारी मुसलमानका धर्म-विचार (धार्मिक विश्वास) ज्यादा अच्छा है।

पाठक देखेंगे कि इसमें मौलानाने मेरी और व्यभिचारी मुसलमानकी तुलना नहीं की है। उन्होंने तो मेरे और उस मुसलमान भाईके धार्मिक विश्वासकी तुलना की है। इसके सिवा, मौलाना साहब अपनी उदारता और मेरे प्रति अपने स्नेहके कारण ऐसा कहते हैं कि यदि मनुष्यकी मनुष्यसे तुलना करनी हो तो गांधीजी गुणमें अर्थात् आचारमें उनकी पूजनीय माताजी और पूज्य गुरुसे भी बढ़ जाते हैं।

इसमें न तो मेरा अपमान है और न हिन्दू धर्मका। सच तो यह है कि सारा संसार पूर्वोक्त तीन सिद्धान्तोंको मानता है। फर्ज कीजिए, यूरोपका कोई सर्वश्रेष्ठ साधु यह मानता है कि मनुष्यके शरीरकी रक्षाके लिए जीवित पशुओं और पक्षियोंको तरह-तरह के कष्ट देकर उनपर प्रयोग करने अथवा उन्हें मार डालनेमें किसी तरहकी बुराई नहीं है, यही नहीं बल्कि ऐसा न करने में बुराई है। इसके खिलाफ फर्ज कीजिए मैं एक दुष्ट मनुष्य हूँ, परन्तु मैं मानता हूँ कि मनुष्य-शरीरको बचाने के लिए भी किसी जीवधारीकी हिंसा करना इन्सानियतको कम कर देना है। तब उस श्रेष्ठ साधुका किंचित् भी अपमान किये बिना क्या में यह नहीं कह सकता कि केवल विचारों-विश्वासोंकी तुलना करें तो मेरे दुष्ट होते हुए भी मेरे विश्वास उस सर्वश्रेष्ठ साधुके