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पत्र : ओताने जाकाताको


हिन्दी न॰ जी॰ के लिए एक लेख ईसी के साथ रखता हुँ। हिन्दी न॰ जी॰ मुझे भेजते रहिये।

मोहनदास के आशीर्वाद

मूल पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०५२) से।
सौजन्य : मार्तण्ड उपाध्याय
 

३७८. पत्र : ओताने जाकाताको

[३० अप्रैल, १९२४ के पश्चात्]

प्रिय महोदय,

पत्र[१] और पुस्तक के लिए धन्यवाद।

अगर मेरी इच्छा होती तो भी मेरे पास इतना समय नहीं कि आप जो ब्योरा चाहते हैं, वह आपको दे सकूँ।[२] न मेरे पास अपना कोई चित्र है और न मैं चित्र बनवाने के लिए चित्रकारके सामने बैठता ही हूँ। अभी हालके जो चित्र हैं वे सबके-सब हाथ के कैमरेसे सहसा लिये गये हैं। सन्दर्भके लिए सबसे अच्छी दो पुस्तकें हैं—'यंग इंडिया' में लिखे मेरे लेखोंका मद्रासके गणेशन (पता भर दें)[३] द्वारा प्रकाशित संग्रह और मद्रासके ही जी॰ ए॰ नटेसन (पता भर दें) द्वारा प्रकाशित मेरे भाषणोंका संग्रह। इस दूसरी पुस्तकमें सत्याग्रहाश्रम के नियम भी दिये गये हैं।[४]

हृदयसे आपका,

[ओताने जाकाता
४५, कोदा मात्रि, ४ चोमे
ताइहोकु, फॉरमूसा, जापान]

मूल अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७५९) की फोटो-नकलसे।
  1. यह पत्र ३० अप्रैलको लिखा गया था और श्री जाकाताने इसके साथ "सेंट-हीरो गांधी" नामक अपनी पुस्तककी एक प्रति भी भेजी थी। उन्होंने गांधीजीसे ऐसी प्रकाशित सामग्रीके बारेमें जानकारी माँगी थी, जिनसे गांधीजीके जीवन, कार्य और सिद्धान्तोंपर प्रकाश पड़ता हो। श्री जाकाता इन तथ्योंका उपयोग उक्त पुस्तकका संशोधित संस्करण निकालनेके लिए करना चाहते थे।
  2. किन्तु लगता है कि महादेव देसाईने श्री जाकाताको यह सारी जानकारी देनेके खयालसे एक विवरण तैयार किया था। इसकी एक फोटो नकल (एस॰ एन॰ ८८३७) उपलब्ध है।
  3. स्पष्टतः कोष्ठकों में दिये गये शब्द गांधीजीने अपने सचिवको यह निर्देश देनेके लिए लिखे थे कि वहाँ पते-भर दिये जायें।
  4. पत्रके ऊपर गांधीजीने लिख रखा है : "नकल करके मेरे हस्ताक्षर करवा लें।" स्पष्टतः यह प्रति कार्यालयके लिए थी।