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सकता है लेकिन ऐसा नहीं कहा जायेगा कि मैंने उसके साथ हिंसात्मक व्यवहार किया है। लेकिन अगर मैं न्याय कराने के लिए उसपर प्रहार कर बैठूँ तो माना जायेगा कि मैंने हिंसा के बलपर उसे न्याय करनेको मजबूर किया।

सिन्धमें हिन्दुओं और मुसलमानोंके बीच तनाव

डा॰ चोइथरामने मुझे अखबारोंकी कुछ कतरनें भेजी हैं। इन कतरनोंसे, सिन्धमें जो संकट पनपता लग रहा है, उसका काफी कुछ आभास मिल जाता है। मैं इस मामलेसे सम्बन्धित तथ्योंपर विचार नहीं करना चाहता। पंच-फैसले द्वारा हिन्दू-मुस्लिम झगड़ा सुलझाने की कोशिश की गई थी। डा॰ चोइथराम और सेठ हाजी अब्दुल्ला हारूनने अखबारोंमें अपना मत व्यक्त कर दिया था। सेठ हाजी अब्दुल्ला हारून कहते हैं कि हृदय परिवर्तनके बिना पंच-फैसला नहीं हो सकता। कारण जो भी रहा हो, लेकिन पंच-फैसला न हो पाना एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है। लेकिन सारे मामलेका सबसे दुखद पहलू यह है कि हिन्दू ऐसा महसूस नहीं करते कि वे निरापद हैं और पुलिस प्रभावित क्षेत्रोंमें चौकसी कर रही है। अगर यह सच है तो कहीं कोई बड़ी खराबी जरूर होगी। गलती चाहे जिसकी हो, लेकिन दोनों पक्षोंके बीच इतनी बात तो तय होनी ही चाहिए कि कानूनको कोई भी अपने हाथमें नहीं लेगा। अगर वे पंच-फैसले द्वारा अपना विवाद हल नहीं कर पाते तो न्यायालयकी शरण ले सकते हैं, लेकिन अगर एक पक्ष दूसरेको डराता-धमकाता रहा तो इसका परिणाम अन्ततः रक्तपात ही हो सकता है। यह तो धर्मका रास्ता नहीं है।

मैं अपने हिन्दू और मुसलमान भाइयोंको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं हिन्दू-मुस्लिम एकता के सवालपर अपने विचार व्यक्त करने के लिए अत्यन्त व्यग्र हूँ। मैं सिर्फ उन मित्रोंकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ जिन्होंने मुझसे कहा है कि जबतक इस सवालपर उनसे मेरी बातचीत नहीं हो जाती तबतक मैं चुप ही रहूँ। मुझे प्रतिदिन तनावकी जो खबरें मिलती रहती हैं, उनसे प्रकट होता है कि देश के सामने जो सबसे बड़ा सवाल है वह अन्य कोई नहीं, हिन्दू-मुस्लिम एकताका ही है। आशा है, इस अत्यन्त असन्तोषजनक स्थितिसे निकलने का कोई रास्ता मिल जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १–५–१९२४