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३८१. भूखसे ग्रस्त मोपले

नीचे श्री याकूब हसनसे प्राप्त एक पत्र दिया जा रहा है :

मोपलोंके कष्ट निवारणके सम्बन्धमें मैंने जो वक्तव्य अभी-अभी समाचार-पत्रों में भेजा है, उसकी प्रतिलिपि साथ भेज रहा हूँ। आपको यह जानकर निस्सन्देह दुःख होगा कि उन हजारों मोपलोंके, जो या तो विद्रोहमें मारे गये या जिन्हें बाद में गोली मार दी गई या फाँसीपर चढ़ा दिया गया था, जो लम्बा कारावास भोग रहे हैं, स्त्री-बच्चे लगभग भूखों मर रहे हैं।
मोपलोंकी पूरी कौम ही सदासे गरीब रही है। उनमें से अधिकतर जेन्मी नामधारी छोटे भूस्वामियोंकी जो लगभग सभी हिन्दू हैं, जमीनें जोतते थे। ओर जेन्मी हमेशा से अपने जुल्मके लिए बदनाम हैं। इनके विरुद्ध मोपलोंकी अरसे से चली आती शिकायतें कई बार कानून बनाकर स्थितिको सुधारनेके प्रयत्नोंके बावजूद दूर नहीं हुईं। विद्रोहने दारिद्र्यग्रस्त मोपला जातिको और भी गहरी खाई में ढकेल दिया है। चूँकि मोपलोंने विद्रोहके दौरान हिन्दुओंका बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन भी किया, अतः मोपला जाति साधारणतः सभी हिन्दुओंके और विशेषतः जेन्मियोंके रोषकी पात्र बन गई है और अभीतक सरकारसे जमकर लोहा लेते रहनेके कारण सरकारके मनमें भी उसके लिए कोई प्रेम नहीं है। हिन्दुओंने मोपलोंसे फौजके जरिये बदला लिया है और फौजने मोपलोंके सारे घर और मसजिदें जला दी हैं। हजारों मोपले मारे गये, गोलीसे उड़ा दिये गये या फाँसी पर लटका दिये गये। कितने ही जन्म-भरके लिए जेल भेज दिये गये और हजारों अभी कारागारोंमें पड़े सड़ रहे हैं। जिन्हें कारावास नहीं दिया गया है उनमें से कितने ही हजार लोग वो वर्षके कारवासके बदले माहवारी किस्तों में जुर्माना भुगत रहे हैं। पुलिस हमेशा इन्हें दबाती रहती है। जो थोड़ेसे लोग मौत कारावास या जुमानेसे बचे हैं, वे भी कुछ अधिक अच्छी स्थिति में नहीं हैं। वे डरके मारे होश हवास खो बैठे हैं और निरन्तर आतंकको अवस्थामें रह रहे हैं। मैंने दूरस्थ स्थानोंमें जाकर कुछ लोगों से बातचीत की। यद्यपि मैंने उन्हें आश्वासन दे दिया कि मैं उनका मित्र हूँ और यथासम्भव उनकी मदद करनेके उद्देश्यसे ही यहाँ आया हूँ; किन्तु फिर भी में उनमें से कुछ लोगोंका डर दूर नहीं कर सका ।
दक्षिण मलाबार में मोपलोंको सामान्य स्थिति ऐसी ही है। पति अथवा पिताको मृत्यु अथवा कारावासके कारण जो स्त्रियाँ निराश्रित हो गई हैं उनकी हालत और भी बुरी है। भारतके और भागोंकी अपनी बहनोंके समान मोपला