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भूखसे ग्रस्त मोपले
स्त्रियाँ पर्वा नहीं करतीं। वे चतुर एवम् परिश्रमी होती हैं और सदा अपने परिवारके पुरुषोंके साथ खेतों आदिमें काम करती हैं। वे इस समय बड़ी कठिनाई में हैं, क्योंकि ऐसे समय में जब कि कुटुम्बके भरण-पोषणका भार उनके कन्धोंपर आ पड़ा है और वे विषम परिस्थितियोंके कारण अपने परिवारोंके लिए अकेली रोटी कमानेवाली रह गई हैं, उन्हें ऐसा कोई काम नहीं मिल रहा है जिससे उन्हें गुजारेके लायक मजदूरी मिल सके। यद्यपि मोपले सदासे गरीब हैं, तथापि उन्होंने भीख कभी नहीं माँगी, किन्तु अब मोपला स्त्रियां और बच्चे फटे चीथड़े पहने सड़कोंपर प्रायः भीख माँगते दिखाई दे जाते हैं। रमजानमें, जो खैरात देनेका महीना है, गरीब मुसलमान औरतें भीख मांगती हैं। मैं देखता हूँ कि मद्रास में इन औरतोंमें लगभग आधी स्त्रियाँ मोपला हैं और मुझे मालूम हुआ है कि मद्रास अहातेके सभी बड़े शहरोंमें यही बात है।
जहाँतक बच्चोंका सवाल है, उनको अवस्थाकी कल्पना ही की जा सकती है, उसका वर्णन करना कठिन है।
अतः यदि मोपला जातिको नैतिक ही नहीं वरन् भौतिक बरबादीसे भी बचाना है तो कुछ करना आवश्यक है और तुरन्त ही। मोपला अपने सारे दोषों और त्रुटियोंके बावजूद शानदार आदमी होता है। उसमें अरबी बाप-दादोंका शौर्य, साहस तथा जीवट और माता पक्षसे प्राप्त शराफत तथा उद्योगशीलता भी होती है। उसके मजहबी जोशकी तो कब्र ही नहीं की गई। उसे लेकर गलतफहमी ही अधिक फैली है। वह साधारणतः शान्तिप्रिय होता है, किन्तु वह अपने आत्मसम्मानपर कोई प्रहार अथवा अपने धर्मका कोई अपमान सहन नहीं कर सकता। दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियोंने, जिनके कारणोंपर विचार करना मैं इस समय आवश्यक नहीं समझता, उसे बरबस विद्रोही बना दिया और उसने वही किया है जो कोई भी अन्य हिन्दू, मुसलमान अथवा ईसाई उन्हीं परिस्थितियोंमें—अनिवार्य संकटकी वैसी ही अवस्थामें आत्मरक्षा एवम् आत्महितकी खातिर करता। उसने अपने कियेका फल भोग लिया है। क्या उसके पापोंका दण्ड उसकी पत्नी और बच्चोंको भी देना उचित है?
महात्माजी, में यह मामला आपके सामने पेश कर रहा हूँ, क्योंकि आप भारतीय राष्ट्रके प्रमुख हैं, तथा हिन्दू और मुसलमान दोनों मिलकर और अलग-अलग भी, आपको अपना नेता मानते हैं। इस भारी समस्याको कैसे हल किया जाये, यह में नहीं कहूँगा। ईश्वरकी इच्छा होगी तो आप अपनी बुद्धिमत्ता तथा अपनी सहृदयतासे स्वयं ही पीड़ित मोपला स्त्रियों और बच्चोंको जीवनदायिनी सहायता देनेका मार्ग ढूँढ निकालेंगे। आपकी अपील हिन्दुओंको सब कुछ भूलकर उन्हें क्षमा करने और हृदयकी ऐसी विशालता दिखलानेकी प्रेरणा देगी जिसके बिना कोई राष्ट्र महान् नहीं हो सकता, साथ ही आपकी अपील से मुसलमान भी अपने प्रति अपना कर्तव्य और अधिक अच्छी तरह

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