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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लगता है कि इसका सबसे अच्छा उपयोग मैं यहीं कर सकता हूँ कि उनकी मुसीबतमें पड़ी मुसलमान और ईसाई बहनोंके लिए चरखोंकी व्यवस्था करनेके लिए मैं यह रकम दे दूँ। यह रकम जल्दी ही श्री सदाशिवरावको भेज दी जायेगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १-५-१९२४
 

३८४. शान्तम्, शिवम्, अद्वैतम्[१]

अभीतक मैं श्री एन्ड्रयूज के 'यंग इंडिया' में प्रकाशनार्थ भेजे गये लेखों में संशोधन इत्यादि कर दिया करता था। किन्तु उनके इस सुन्दर गद्य-काव्यमें, व्यक्तिगत बातोंका उल्लेख होते हुए भी मुझे उसका एक शब्द भी बदलने का साहस नहीं होता।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १-५-१९२४
 

३८५. तार : च॰ राजगोपालाचारीको[२]

[बम्बई
१ मई, १९२४ या उसके पश्चात्]

तार मिला। इतनी ही राहत पहुँचा सकता हूँ कि देवदासको तार द्वारा हालत और जबाब दें। भेज दूँ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७७७) की फोटो नकलसे।
  1. सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजके गद्य-काव्यका शीर्षक। गद्य-काव्य यहाँ नहीं दिया जा रहा है। गांधीजीको इस टिप्पणीके साथ गद्य-काव्य यंग इंडियाके इसी अंकमें प्रकाशित हुआ था।
  2. यह राजगोपालाचारीके १ मई, १९२४ के तारके उत्तरमें देवदास गांधीके नाम भेजा गया था। राजगोपालाचारीका तार २ मईको प्राप्त हुआ था। तारमें उन्होंने अपने जामाताके सख्त बीमार होनेकी खबर भेजी थी।