४०४. पत्र : गंगाबहन मेघजीको
अन्धेरी
बुधवार [७ मई, १९२४][१]
पू॰ गंगाबहन,
आपका पत्र मिला। आप कुछ ही दिनमें आश्रम पहुँच जायेंगी, यह पढ़कर मुझे प्रसन्नता हुई है।
काका दूसरी बार जब बम्बईकी ओर जायें तब आपके यहाँ अवश्य जायें। आश्रम में जायें तब यह बात उनसे कह दें।
मुझे आशा है आपने दवाओंकी झझंट अब कम कर दी होगी।
आपका आश्रम में आनेका विचार है यह बात मैं बाको लिख रहा हूँ। मैं भी इस महीने के अन्तमें आश्रम पहुँच जाऊँगा।
मोहनदास के वन्देमातरम्
पूज्य गंगास्वरूप गंगाबेन
बोरीवली
- बापुना पत्रो : गंगास्वरूप गंगाबहेन ने
४०५. पत्र : मणिबहन पटेलको
बुधवार [७ मई, १९२४][२]
चि॰ मणि,
कल तुम्हारे दो पत्र साथ मिले। पता नहीं चलता कि मेरे पत्र तुम्हें मिलते हैं या नहीं। सप्ताह में एक पत्र लिखने के बजाय मैंने लगभग हर तीसरे दिन पत्र लिखा है। बुखार जरूर जायेगा। खाया जाता है और दस्त ठीक आता है, इसलिए मैं मानता हूँ कि न जानेका सवाल ही नहीं रहता। बीमारी पुरानी है इसलिए देर हो रही है।
- "त्यागकी मूर्ति" के बारेमें आलोचना लिखना।
बापूके आशीर्वाद
- बापूना पत्रो : मणिबहेन पटेलने