पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/६२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५९०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और युवराज के विरुद्ध इतना प्रभावकारी आन्दोलन चलाया था कि जिन सड़कोंसे होकर उनका जलूस निकलता, वे लगभग जनशून्य मिलती थीं।

इसके बाद उन्होंने कहा, 'गांधी नंगे पैर धीरे-धीरे अन्दर आये और वहाँ बैठ गये, जहाँ आप बैठे हैं। मैंने उन्हें चेतावनी दी। मैंने कहा, "आप नहीं जानते कि आप क्या कर रहे हैं। लेकिन आप इस दुष्टतापूर्ण कार्यक्रमको चालू रखनेका आग्रह करते हैं। जो भी स्त्री-पुरुष या बच्चे मारे जायेंगे उनकी मृत्यु के लिए मैं आपको जिम्मेदार मानूँगा।"

"कोई नहीं मारा जायेगा, परमश्रेष्ठ", उन्होंने कहा।

मैंने इसके उत्तर में कहा, "अवश्य मारे जायेंगे। आप अहिंसाका प्रचार कर रहे हैं लेकिन वह सब कोरी कल्पना है। वह व्यवहारमें नहीं टिकेगी। आप जिस तरहका आन्दोलन चला रहे हैं, उसमें अहिंसा-जैसी कोई चीज होती ही नहीं। आप लोगों के रोष, उद्वेगपर काबू नहीं रख सकते। आप याद रखें, मैं आपको ही जिम्मेदार मानता हूँ।"

ऐसा कहते समय परमश्रेष्ठने मेरी ओर अंगुली हिलाई मानो उनके सामने बैठा हुआ मैं गांधी था।

चौरीचौरा में दंगे और हत्याएँ होनेके बाद जब सब समाप्त हो गया तब गांधी यहाँ फिर आये। मैंने उनसे कहा :

"मैंने आपसे कह दिया था कि क्या होगा। इसके जिम्मेदार आप हैं।" उन्होंने अपने हाथोंसे अपना मुँह छिपा लिया और कहा, "मैं यह बात जानता हूँ।"

"आप यह बात जानते हैं! किन्तु क्या इससे अब वे स्त्री और पुरुष पुनः जीवित हो सकते हैं जिनको उपद्रवी भारतीयोंकी भीड़ने पैरों तले कुचल दिया है?" उन्होंने व्यथित स्वरमें कहा, "परमश्रेष्ठ मुझे जेल भेज दें।"

अवश्य ही मैं आपको जेल भेजूँगा; लेकिन जबतक मैं मजबूत और तैयार नहीं हो जाता तबतक नहीं भेजूँगा। क्या आप समझते हैं कि मैं आपको काँटोंका ताज पह्नाना चाहता हूँ?" उन्होंने कहा, "मैं अब एक सप्ताहका उपवास करूँगा।"

एक महान् प्रयोग

परमश्रेष्ठ यहाँ कुछ रुके और पीछे की ओर झुके। फिर उन्होंने पहलेसे कुछ मन्द स्वर में कहा :

"वे दुबले-पतले और छोटेसे आदमी हैं; लेकिन उनका प्रभाव ३१९,०००,००० लोगोंपर है, जो उनके इशारेपर चलते और उनका आदेश मानते हैं। उन्हें भौतिक वस्तुओंकी परवाह नहीं है और वे भारत के आदर्शों और नैतिक सिद्धान्तोंका ही प्रचार करते हैं। आप किसी देशका शासन कोरे आदर्शोंसे ही नहीं चला सकते। फिर भी उन्होंने आदर्शों के बलपर ही लोगोंको अपनी मुट्ठी में कर लिया है। वे उनके देवता हैं। भारत के लिए सदा एक न एक देवता होना जरूरी है। पहले उनके देवता तिलक थे, फिर गांधी हुए और कल उनका देवता कोई दूसरा मनुष्य होगा। उन्होंने हमें यों ही डरा दिया। उनके कार्यक्रमके कारण हमारी जेलें भर गईं। लोगोंको आप अनन्त