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परिशिष्ट


मैंने महात्मा गांधी के स्वास्थ्यकी जैसी हालत अस्पतालमें देखी है, उसको ध्यानमें रखकर में डाक्टरकी चेतावनी के साथ अत्यन्त नम्रतापूर्वक अपनी ओरसे भी अनुरोध करना चाहता हूँ, क्योंकि यद्यपि महात्मा गांधीकी हालत निस्सन्देह अबतक आश्चर्यजनक रूपसे सुधरी है, फिर भी वे अभी बहुत कमजोर हैं और यह याद रखना आवश्यक है कि अभी उनका जख्म भरना बाकी है, अतः ऐसी कोई भी बात जिससे उनकी हालत फिर बिगड़ सकती हो, नहीं की जानी चाहिए। उन्हें अगले दिनोंमें, खासकर आगामी पखवाड़ेमें, पूरा आराम मिलना चाहिए। उनके प्रत्येक दिनके आरामसे भविष्य में बहुत अन्तर पड़ेगा। जो लोग उनके स्वास्थ्यको अत्यन्त मूल्यवान मानते हैं, वे यदि उनके पूर्ण स्वस्थ होनेतक डाक्टरके निर्देशोंका पूरी तरह पालन करेंगे तो उनकी अतिशय कृपा होगी। पत्रोंके संवाददाताओंको भेंट देना भी महात्माजीके लिए बिलकुल असम्भव होगा। मैंने यह वक्तव्य महात्मा गांधीको उनके आग्रहपर पढ़कर सुना दिया है और उन्होंने इसे समाचारपत्रोंके लिए स्वीकृत कर दिया है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ७–२–१९२४
 

परिशिष्ट ८
डा॰ सत्यपालका पत्र

भारत बिल्डिंग्स
लाहौर
२३ फरवरी, १९२४

प्रिय महात्माजी,

वन्देमातरम्।

मैं आपके पुनः स्वास्थ्य लाभपर हृदयसे बधाई देता हूँ। हम सबको इससे हार्दिक प्रसन्नता हुई है कि आप हमारे पथप्रदर्शन के लिए फिर हमारे बीच आ गये हैं। हमारी अत्यन्त हार्दिक प्रार्थना है कि आप चिरजीवी हों।

आपको अबतक यह तो मालूम ही हो गया होगा कि जो सिख जत्था अखण्ड पाठके लिए जैतो गया था, उसपर गोली चलाई गई है। कुछ लोग हताहत हुए हैं (घायलों और मृतकोंकी ठीक-ठीक संख्या अभी मालूम नहीं हुई है)। इस सम्बन्ध में पंजाब प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीने निम्नलिखित निर्णय किये हैं।

(क) उसने एक घायल सेवी दल संगठित किया है और उसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समितिको सौंप दिया है।

(ख) उसने शि॰ गु॰ प्र॰ स॰के अध्यक्षको लिखा है कि हमारी समिति इस सम्बन्ध में उसकी क्या सहायता कर सकती है, वे यह बतायें। उसने उन्हें यह आश्वासन भी दिया है कि उनके लिए वह जो कुछ भी कर सकती है, तत्काल करेगी।

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