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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


क्या मैं आपसे विनती कर सकता हूँ कि आप कृपया मुझे विस्तारसे लिखें कि इस सम्बन्ध में हमें क्या करना चाहिए।

आशा है, आप स्वस्थ होंगे।

हृदयसे आपका,
सत्यपाल
मुख्य मन्त्री

[पुनश्च :]

मैंने अभी-अभी एक तार भेजा है। उम्मीद है कि वह आपको इस पत्र से पहले मिल चुकेगा।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ९९१५) की फोटो-नकलसे।
 

परिशिष्ट ९
के॰ पी॰ केशव मेननके पत्रका अंश

केरल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीने पिछली बैठक में इस वर्षके लिए अस्पृश्यता-निवारणका एक निश्चित कार्यक्रम बनाया था। आप जानते ही हैं कि केरलकी परिस्थितियाँ विशिष्ट हैं। यहाँ प्रश्न केवल स्पर्श कर सकनेका नहीं वरन् पास न आ सकनेका है। अब हम इस दिशा में कदम उठा रहे हैं कि सार्वजनिक सड़कें उन लोगोंके लिए भी खुल जायें जो पास नहीं आ सकते। केरलमें कितनी ही ऐसी सड़कें हैं, जिनको इस समय मुसलमान, ईसाई और उच्च वर्ण के हिन्दू इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जिन्हें एजवा, थिया और पुलाया जैसे अस्पृश्योंको इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता। दो हफ्ते पहले जब मैं उत्तरी त्रावणकोरके एक प्रमुख स्थानसे वाइकोम गया था तब मैंने उच्च वर्णके हिन्दुओंसे प्रार्थना की थी कि वे एजवा और पुलाया वर्गके लोगोंको मन्दिरकी आस-पास की सड़कों को इस्तेमाल करने दें। मैं यह भी उल्लेख कर दूँ कि इस सड़ककी सार-सँभाल सार्वजनिक कोषसे की जाती है और उसे इस समय ईसाई, मुसलमान और उच्च वर्णके हिन्दू स्वतन्त्रतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं। हालाँकि हमने इसी पहली तारीख की सुबह इस सड़कसे पुलाया लोगोंका एक जलूस निकालनेका प्रबन्ध किया था, लेकिन हमें वह कुछ स्थानीय मित्रोंके कहनेपर मुल्तवी करना पड़ा, क्योंकि वे इस प्रश्नपर लोकमत तैयार करने के लिए थोड़ा समय और चाहते थे। शायद आपको याद होगा कि थिया वर्गके एक प्रमुख सदस्य श्री टी॰ के॰ माधवन्ने करीब तीन साल पहले जब आप तिन्नेवेली[१] आये थे तब आपसे भेंट की थी। वे अब कांग्रेसमें शरीक हो गये हैं और हमारे साथ पूरे मनसे अस्पृश्यता निवारणके काममें लगे हैं। हमने इन सड़कोंपर जलूस निकालने के लिए अगली ३० तारीख तय की है। आपको

  1. देखिए खण्ड २१, पृष्ठ १९३-९६।