६ मई : सरकारने गांधीजीको सूचना दी कि उनका हकीम अजमलखाँके नाम पत्र लिखा नहीं भेजा जा सकता।
१२ मई : हकीम अजमलखाँको लिखा कि आपके नाम लिखे पत्रको ज्योंका-त्यों न भेजने के सरकारी फैसले के कारण मैं अपना तिमाही पत्र नहीं लिखूँगा।
१ जून : च॰ राजगोपालाचारीने 'यंग इंडिया' का सम्पादन-भार सँभाला।
१ जुलाई : मगनलाल गांधी से भेंट।
२ जुलाई : कस्तूरबा, मणिलाल, देवदास तथा मथुरादास विकमजी गांधीजी से मिलने आये।
१३ सितम्बर : एक सप्ताहका मौन शुरू किया।
२० सितम्बर : एक सप्ताह के लिए पुनः मौन आरम्भ किया।
४ अक्तूबर : कस्तूरबा, जमनालाल, रामदास, पुंजाभाई तथा किशोरलाल गांधीजीसे मिलने आये।
११ नवम्बर : कलकत्तामें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने सविनय अवज्ञा प्रस्ताव पास किया।
१९२३
२७ जनवरी : कस्तूरबा गांधीजी से मिलने आई।
१० फरवरी : यरवदा जेलमें मूलशीपेटाके सत्याग्रहियोंको काम करने से मना करनेपर कोड़े लगाये गये।
गांधीजीने जेल सुपरिन्टेन्डेन्टसे मूलशीपेटाके कैदियोंसे मिलने की अनुमति माँगी।
१६ अप्रैल : देवदास गांधीजीसे मिलने आये।
१७ अप्रैल : शंकरलाल बैंकरको रिहा कर दिया गया।
२१ अप्रैल : गांधीजीके पेटमें जोरका दर्द हुआ।
१ मई : जेल सुपरिन्टेन्डेन्टको पत्र लिखा कि जबतक दूसरे कैदियोंको विशेष वर्गसे वंचित रखा जायेगा, मैं भी उसमें रहना पसन्द नहीं करूँगा।
५ मई : मुख्य चिकित्सक कर्नल मैडॉकने गांधीजी के स्वास्थ्यकी जाँच की।
१५ मई : कर्नल मैडॉकने पुनः गांधीजी के स्वास्थ्यकी जाँच की। इन्दुलाल याज्ञिक मिलने आये।
१८ मई : गांधीजीको यूरोपीयोंके वार्ड में ले जाया गया। कस्तूरबा तथा अन्य लोग उनसे मिलने आये।
२७ जून : मूलशीपेटाके सत्याग्रहियोंने अनशन आरम्भ किया।
२९ जून : मूलशीपेटाके कैदियोंको पुनः कोड़े लगाये जानेपर गांधीजीने जेल सुपरिन्टेंडेन्टसे उनसे मिलने की अनुमति माँगी तथा कर्नल डेलजीलसे इस विषयपर बातचीत की।
२ जुलाई : रातको अत्यधिक शारीरिक कष्ट रहा।
९ जुलाई : मूलशीपेटाके सत्याग्रहियोंसे भेंट करने की अनुमति न देनेपर जेल सुपरिन्टेंडेन्टको अपने अनशन करनेके निश्चयके बारेमें पत्र लिखा।