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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


१० जुलाई : सुपरिन्टेन्डेन्टकी प्रार्थनापर ४८ घंटे के लिए अनशन स्थगित करनेके लिए मान गये।

११ जुलाई : ग्रिफिथने गवर्नरका सन्देश दिया।

१२ जुलाई : ग्रिफिथने उनको सूचित किया कि वे मूलशीपेटाके सत्याग्रहियोंसे मिल सकते हैं और कैदियोंको कोड़े तभी लगाये जायेंगे जब वे जेल अधिकारियोंपर आक्रमण करेंगे। सत्याग्रहियोंसे अनशन स्थगित करनेका आग्रह किया।

१३ जुलाई : गवर्नर सर जॉर्ज लॉयडसे कैदियोंके वर्गीकरणपर बातचीत की।

१६ जुलाई : कस्तूरबा तथा अन्य लोग गांधीजी से मिलने आये।

१० सितम्बर : देवदास, नारणदास तथा अन्य लोगोंने गांधीजी से भेंट की।

१० अक्तूबर : कस्तूरबा, अवन्तिकाबाई, जमनालाल तथा सवटीबाई मिलने आये।

२६ नवम्बर : "दक्षिण आफ्रिका सत्याग्रहका इतिहास" गुजराती में लिखना आरम्भ किया।

१७ दिसम्बर : कस्तुरबा, मथुरादास तथा रामदास मिलने आये।

१८ दिसम्बर: रमाबाई रानडे गांधीजीसे मिलने आईं।

१९२४

२ जनवरी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसका कोकोनाडा अधिवेशन समाप्त हुआ।

५ जनवरी: चित्तरंजन दास बंगाल विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए।

८ जनवरी : गांधीजी के पेटमें जोरका दर्द हुआ और रात बड़ी वेचनीसे बीती।

१२ जनवरी : सँसून अस्पताल में श्रीनिवास शास्त्री मिलने आये। कर्नल मैडॉकने अपेन्डिक्सका आपरेशन किया।

१४ जनवरी : गांधीजीने स्वास्थ्य बिगड़ने पर देशवासियोंको उत्कट प्रेम प्रदर्शनके लिए डा॰ फाटक द्वारा धन्यवादका सन्देश भेजा।

१९ जनवरी : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे भेंट।

२ फरवरी : दिलीपकुमार रायसे हुई भेंटमें संगीतके बारेमें विचार व्यक्त किये।

४ फरवरी : बिना शर्त गांधीजीकी रिहाईका आदेश जारी किया गया।

५ फरवरी के पूर्व : 'युग धर्म' के प्रतिनिधिसे हुई भेंटमें गांधीजीने आत्मकथा लिखनेका अपना विचार प्रकट किया।

५ फरवरी : प्रातः ८ बजे रिहाईकी सूचना दी गई, किन्तु सैसून अस्पतालमें ही रहे।

५ फरवरी के पश्चात् : स्वराज्य के सम्बन्ध में ड्रू पियर्सन के प्रश्नों के उत्तर देवदासको दिये।

६ फरवरी या उसके पूर्व : गुजरात विद्यापीठको भेजे सन्देशमें कहा कि मेरी जेलसे मुक्ति प्रसन्नताका विषय नहीं है, बल्कि वस्तुतः उससे और भी अधिक विनम्र बनना चाहिए।

७ फरवरी के पूर्व। 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे हुई भेंटमें गांधीजीने कहा कि मुझे यह जानकर दुःख हुआ कि मुझे रिहा करनेके निश्चयका आधार मेरा दुर्बलस्वास्थ्य माना गया।