पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अधिकार होता। लेकिन मैं कांग्रेस और खिलाफत कमेटियोंके सभी असहयोगी कार्यकर्त्ताओंको इस बात के लिए आमन्त्रित करता हूँ कि वे इन आरोपोंका जवाब दें। मैं चाहूँगा कि वे मेरे पास प्रकाशनार्थ पत्र भेजें, जो संक्षिप्त और युक्तियुक्त हों। जो आरोप सही हैं, उन्हें पत्रमें साफ-साफ और दृढ़तापूर्वक स्वीकार किया जाये। मैं प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीको भी इस बात के लिए आमन्त्रित करता हूँ कि वह इस मामलेपर तुरन्त ध्यान दे; एक या दो आयुक्तोंको इस कामके लिए नियुक्त करे और एक पूर्ण व विस्तृत जाँच करवाये। पत्र लेखकका नाम जाननेकी उन्हें जरूरत नहीं क्योंकि उनके खयालसे जिन लोगोंको सताया गया है, उनके नाम उन्होंने साफ-साफ दे ही दिये हैं। इसलिए जाँच बिलकुल आसान है। इस बीच जो लोग धमकी, जोर-जबरदस्ती, हमलों और सामाजिक बहिष्कारकी ऐसी कार्यवाहियोंके, जो कांग्रेसी या खिलाफती असहयोगियों द्वारा या उनकी ओरसे की गई हों, प्रामाणिक उदाहरण भेज सकते हों, उनका 'यंग इंडिया' के स्तम्भमें स्वागत है, क्योंकि में यह जानता हूँ कि बुराइयोंका प्रकाशन उनका आधा इलाज ही है। वस्तुतः हर कांग्रेसी खिलाफती है और हर खिलाफती कांग्रेसी; लेकिन चूंकि देशमें हमारे ये दो संगठन हैं, इसलिए में दोनोंसे यह अपील करता हूँ कि वे हमारे अपने कुकर्मोंका निर्दयतासे परदा फाश करें। प्रशासकोंके कुकर्मके लिए मुझे हजारों बहाने मिल सकते हैं, और किसी कारण नहीं तो केवल इसीलिए कि हम उन्हें इसी लायक मानते हैं; किन्तु हम तो अहिंसा और ईमानदारीका पूरा आचरण करनेका दावा करते हैं। यदि हम अपने प्रति कठोर रहें तो इस संघर्षको कहीं अधिक तेजीके साथ सफल बना सकते हैं। धमकी देने, जोर-जबरदस्ती करने, हमला या सामाजिक बहिष्कार करनेके लिए हमारे पास कोई भी कारण नहीं है। जो लोग मुझे शिकायती पत्र भेजना चाहते हों, उनसे मैं यह अनुरोध करूँगा कि वे संक्षेपमें बिलकुल सही बातें लिखें और साफ लिखावटमें कागजके सिर्फ एक ओर लिखें। मेरे पास हर रोज जो भारी डाक आती रहती है, उसे पूरा-पूरा देख पाना कोई आसान काम नहीं है। यदि वे मेरी इस मामूली-सी प्रार्थनाको मान लेंगे तो उनके पत्रोंपर जल्दी ध्यान दिया जा सकेगा। पत्र लेखक अस्पष्टसे सामान्य निष्कर्ष निकालनेसे भी बचनेकी कोशिश करें। निश्चित ब्यौरे, जैसे कि नोआखलीवाले पत्र में दिये गये हैं, बहुत ही आवश्यक हैं, क्योंकि तभी उनपर यकीन किया जा सकता है और तभी उनसे जाँचमें सहायता मिल सकती है।

वचनका मूल्य

श्री सुब्रह्मण्य शिवके माफीनामेकी खबरके बारेमें 'यंग इंडिया' में मैंने उन्हें अपनी स्थितिको स्पष्ट करनेका जो निमन्त्रण[१] दिया था, उसके उत्तरमें उन्होंने निम्नलिखित स्पष्टीकरण भेजा है :

मेरी रिहाईके बारेमें सरकारकी विज्ञप्तिसे बहुत-से देशवासियोंके मन में मेरे और मेरी वर्त्तमान स्थितिके सम्बन्धमें गलतफहमी पैदा हो सकती है।
  1. देखिए खण्ड २२, पृष्ठ ३८३