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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

एक पत्नीकी आस्था

श्रीमती स्टोक्सने श्री एन्ड्रयूजको अपने पत्र में लिखा है :

मैं भली-भाँति जानती हूँ कि जेलमें मेरे पति अवश्य प्रसन्न रहते होंगे क्योंकि वे भारतके बहुत-से अन्य सपूतोंके साथ एक पुनीत कार्यके लिए जेलमें कष्ट सह रहे हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सर्वशक्तिमान् प्रभु पीड़ितोंकी पुकार सुनेंगे और न्याय करेंगे।

पाठकों को यह जानकर खुशी होगी कि श्री स्टोक्स जेलमें प्रसन्न और स्वस्थ हैं। लाहौर में मित्रगण उनसे कभी-कभी मिलते रहते हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९–३–१९२२
 

१६. ढीलका उदाहरण

सम्पादक

'यंग इंडिया'

महोदय,
पिछले अंक में "हमारी ढोल"[१] शीर्षक से आपका जो लेख निकला है, मैं उसके सिलसिले में, आपकी अनुमतिसे, कुछ शब्द कहना चाहता हूँ।
कमसे कम मध्यप्रान्तके अपने निजी अनुभवसे मेरा यह विश्वास है कि स्वयंसेवकोंकी एक बहुत बड़ी संख्या कांग्रेसकी शर्तोंकी पाबन्द इसलिए नहीं रहती कि भरती करनेवाले अधिकारी अहमदाबाद कांग्रेस द्वारा निर्धारित सिद्धान्तोंकी उपेक्षा करते हैं। यह अत्यन्त खेदकी बात है कि जहाँ देशबन्धु दास, लालाजी और नेहरूजी जैसे पूजनीय लोग (जो इस समय जेलोंमें हैं) पूरे जोर से चिल्ला-चिल्लाकर यह कह रहे हैं कि हिन्दुस्तानियोंके लिए खद्दरके सिवा कोई दूसरा कपड़ा पहनना पाप है, वहाँ कितने ही स्थानोंके कांग्रेसी कार्यकर्त्ता मिलकी बनी या विदेशी धोतियोंके बजाय खद्दरकी छोटे पनहेकी धोतियाँ पहनने में अभीतक लज्जाका अनुभव करते हैं। मुझे यह कहते हुए दुःख होता है कि बहुत से नेतातक, जो मंचपर भाषण देने आते हैं, अपने वही पुराने विदेशी या मिलके बने वस्त्र पहने होते हैं।
मेरा खयाल है कि इन परिस्थितियों में जनताको इस महत्त्वपूर्ण सवालपर आपसे सलाह पानेका पूरा-पूरा अधिकार है कि कांग्रेसके आदेशका पालन
  1. देखिए खण्ड २२, पृष्ठ ४८८ ९०।