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यदि मैं पकड़ लिया गया

कि उनकी नाव डूबने ही वाली है, पर हम जनताको तो यह बात समझा ही सकते हैं, जो आज उसमें शरीक है और नाममात्रकी शान्ति पानेके लालचमें अपनी आजादी दे डालने के लिए तैयार है। और ऐसा करनेका एक ही उपाय है—उसे यह दिखला देना है कि आजादीका एकमात्र साधन अहिंसा है—गुलामों द्वारा विवशतासे अपनाई गई अहिंसा नहीं, बल्कि वीर और आजाद पुरुषोंकी अपनी मर्जीसे स्वीकार की गई अहिंसा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९–३–१९२२
 

१८. यदि मैं पकड़ लिया गया

अफवाह फिर जोर पकड़ रही है कि मेरी गिरफ्तारी होनेवाली[१] है। कहा जाता है कि कुछ अधिकारियोंकी भूलके कारण मुझे जब पकड़ लिया जाना चाहिए था तब, अर्थात् ११ या १२ फरवरीको नहीं पकड़ा गया; और यह भी कहा जाता है कि सरकार के कार्यक्रमपर बारडोली के निर्णयका कोई असर नहीं पड़ने देना चाहिए था। यह भी कहा जाता है कि लन्दन में मेरी गिरफ्तारी और निष्कासनके लिए जो हो—हल्ला मचाया जा रहा है, अब सरकारको उसके मुकाबिलेमें खड़े रह सकना सम्भव नहीं बचा। मैं खुद भी नहीं समझ पाता कि अगर सरकार व्यक्तिगत अथवा सामूहिक सविनय अवज्ञा आन्दोलनको हमेशा के लिए बन्द करा देना चाहती है, तो वह मुझे गिरफ्तार किये बिना कैसे रह सकती है।

मैंने कार्य समितिको बारडोलीमें सामूहिक सविनय अवज्ञा बन्द करनेकी सलाह इसलिए दी थी कि वह अवज्ञा सविनय न हो पाती; और आज तमाम प्रान्तीय कार्यकर्त्ताओंको व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा तक स्थगित करनेकी सलाह इसीलिए दे रहा हूँ कि मैं जानता हूँ कि आज जो परिस्थिति है उसमें अवज्ञा सविनय नहीं बल्कि अपराधपूर्ण ही होगी। सविनय अवज्ञाके लिए शान्तिमय वातावरणका होना अनिवार्य है। भारत में आज जगह-जगह हिंसा की भावना फैली हुई है और संयुक्त प्रान्तकी सरकारको अतिरिक्त पुलिस भरती करनी पड़ी है ताकि कहीं भी चौरीचौरा-काण्डकी पुनरावृत्ति न होने पाये। इन बातोंको देखकर मेरा सिर नीचे झुक जाता है। मैं यह नहीं कहता कि जिनके घटित होने की बात कही जा रही है वे सभी बातें हुई ही हैं। पर उन सब प्रमाणोंको न मानना भी असम्भव है जो उस प्रान्तके कुछ हिस्सों में हिंसाकी भावना बराबर बढ़ती जानेकी बात सिद्ध करनेके लिए पेश किये जाते हैं। पण्डित हृदयनाथ कुंजरूसे[२] राजनैतिक बातोंमें मेरा मतभेद है। तथापि मैं यह मानता हूँ कि

  1. गांधीजी अहमदाबादमें १० मार्चको रातके १० बजे भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १२४ के अन्तर्गत गिरफ्तार किये गये थे।
  2. डा॰ हृदयनाथ कुंजरू (जन्म १८८७), १९३६ से सर्वेटस ऑफ इंडिया सोसाइटी और १९४८ से इंडिया कौंसिल ऑफ वर्ल्ड एफेयर्सके अध्यक्ष।