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टिप्पणियाँ
कोई शिकायत नहीं की; यदि वे चाहते तो शिकायत कर सकते थे, क्योंकि उस समय हम दोनों ही वहाँ थे।
लगता है कि आचार्य गिडवानी जेलमें किस परिस्थितिमें भेजे गये है उसके बारेमें आपके मन में कुछ मिथ्या धारणा है। उन्हें पण्डित जवाहरलाल और श्री सन्तानम्के साथ पिछले अक्तूबरमें भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १८८ और १४५के अन्तर्गत दण्ड दिया गया था। प्रशासक होनेके नाते, मैने उस दण्डको इस शर्तपर मुल्तवी कर दिया था कि वे राज्यसे चले जायें और बिना अनुमतिके वापस न आयें। किन्तु श्री गिडवानीने २१ फरवरीको नाभा राज्यमें वापस आकर वह शर्त तोड़ दी। अब वे जेलमें हैं, और पहले दी गई सजाको भोग रहे हैं। हम उनपर किसी भी अन्य अभियोगमें मुकदमा चलाना नहीं चाहते।

इस प्रकार श्री जिमांडकी रायमें मानवताके हितार्थ नाभा राज्यकी सीमामें प्रवेश करनेके जुर्ममें आचार्य गिड़वानीको पहले दी गई २ सालकी कैदकी सजा भोगनी है। आचार्य गिडवानी कोई शिकायत नहीं करते, क्योंकि उन्होंने रिहाईकी दरख्वास्त कभी दी ही नहीं। किन्तु जनता उस प्रशासनके बारेमें क्या राय बनाये जिसके अधीन एक मनुष्य ऐसा काम करनेके लिए बन्दी बनाया जाता है, जिसे वह मानवताका काम समझता है, और जिसके फलस्वरूप किसीको भी सचमुच कोई नुकसान नहीं पहुँचा है। यदि श्री जिमांडकी बात ठीक है तो आचार्य गिड़वानीका विचार जत्थेके साथ राज्यमें प्रवेश करनेका नहीं था। मेरे खयालसे उनके कहने का मतलब यह नहीं है कि यदि आचार्य गिडवानी मुक्त रखे जायें तो वे नाभा राज्यमें ही बने रहनेका आग्रह करेंगे। अतः ऐसा लगता है कि उन्हें बिना किसी न्यायसंगत कारणके जेल भोगनी पड़ रही है।

क्या सिख हिन्दू हैं?

पंजाबसे एक मित्र लिखते हैं:
वाइकोम सम्बन्धी आपकी टिप्पणीके कारण जिसमें आपने अकालियोंको मुसलमानों और ईसाइयोंके साथ गैर-हिन्दुओंकी श्रेणी में रखा है, यहाँके अकाली बहुत नाराज हुए हैं। मुझसे कई लोगोंने शिकायत की है कि सिख औपचारिक रूपसे कभी हिन्दू धर्मसे अलग नहीं हुए। और यदि कहा जाये कि कुछ लोग हिन्दू कहे जानेसे इनकार करते हैं तो उसके उत्तरमें तर्क दिया जा सकता है कि यों तो कुछ समय पहले स्वयं स्वामी श्रद्धानन्दने भी ‘हिन्दू' कहे जानेपर तोव्र आपत्ति की थी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समितिके कई प्रमुख सदस्य हिन्दू सभाके सदस्य हैं; और यद्यपि अकालियोंके एक वर्ग विशेषकी अवश्य ही यह धारणा है कि हिन्दू धर्मसे उनका अपनेको सब प्रकारसे अलग घोषित करना ही अधिक अच्छा होगा; परन्तु उनमें एक उतना ही शक्तिशाली दल