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७२. पत्र: मणिबहन पटेलको

जुहू
सोमवार [२६ मई, १९२४][१]


चि० मणि,

तुम तो अहमदाबाद पहले ही पहुँच गई। मेरी तीव्र इच्छा है कि तुम दोनों भाई-बहन आश्रममें एक अलग कमरा लेकर रहो। तुम चाहो तो छात्रालयमें भोजन किया करो, चाहो तो हाथसे बना लिया करो अथवा बाके साथ अनुकूल पड़े तो वहाँ खा लिया करो। जैसा तुम दोनोंको अनुकूल हो वैसा करना। वहींसे कालेज जा सकती हो।

बापूके आशीर्वाद


चि० मणिबहन,
मार्फत-वल्लभभाई बैरिस्टर
अहमदाबाद

[गुजरातीसे]
बापुना पत्रोः ४――मणिबहेन पटेलने

७३. पत्र : शान्तिकुमार मोरारजीको[२]

[२८ मई, १९२४ के पूर्व][३]

तब तो बहुत ही अच्छा किया। बहुत दिन जियो, दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक धर्मवान बनो! सदा शुभ कर्म करो। कामना करता हूँ कि तुम्हारी देश-सेवामें सदा वृद्धि हो।

मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ४६९४) की फोटो-नकलसे।

सौजन्य: शान्तिकुमार मोरारजी

 
  1. प्रकाशित पुस्तकके अनुसार।
  2. बम्बईके एक गुजराती व्यापारी।
  3. शान्तिकुमारजीने इस पत्रपर लिखा है कि गांधीजोने यह आशीर्वाद जुहूसे लिखकर भेजा था। गांधीजी जुहूसे अहमदावादको २८ मई, १९२४ को रवाना हुए थे।