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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भोजन करते हैं। अब उनकी लड़की का विवाह होनेवाला है। उन्होंने खादीधारी दामादकी खोज की और वैसा दामाद मिलने पर ही सगाई की। उन्होंने जो कुंकुम-पत्री भेजी है उसमें लिखा है, "कृपया विवाहमें खादी पहनकर ही आयें। यदि वैसा न कर सके और विवाहमें न आ सके तो मुझे यह बात बुरी नहीं लगेगी।" हम इस धीरज और दृढ़ताके लिए इन भाईको बधाई देते हैं। यदि हममें भी उन्हीं-जैसी दृढ़ता हो तो हमें इसका अनुकरण करना चाहिए।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन' ५-६-१९२४

१०२. भेंट: 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के प्रतिनिधिसे

[ साबरमती आश्रम अहमदाबाद
५ जून, १९२४]

श्री गांधीने आज दोपहर बाद साबरमती आश्रममें 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के विशेष प्रतिनिधिको मुलाकात देनेकी कृपा की। मुलाकात बंगाल प्रान्तीय सम्मेलनके उस विचित्र प्रस्तावके सम्बन्धमें थी, जिसमें श्री अर्नेस्ट डेके[१] हत्यारे गोपीनाथ साहाकी "देशभक्ति" के बारेमें प्रशंसा की गई थी। कहा जाता है कि श्री दास और उनके अनुयायियोंने उस प्रस्तावका समर्थन किया था। परन्तु श्री गांधीने निःसंकोच होकर कड़ेसे-कड़े शब्दोंमें प्रस्तावके मुख्य आशयकी निन्दा की, पर उन्होंने श्री दासके विचारोंके सम्बन्धमें उनसे व्यक्तिगत तौरपर बात किये बिना उनके द्वारा उठाये गये कदमके बारेमें अपनी राय प्रकट करनेसे इनकार कर दिया।

श्री गांधीसे मेरा पहला प्रश्न यह था: "मैं समझता हूँ कि आपने श्री अर्नेस्ट डेकी हत्याके सम्बन्धमें श्री दास द्वारा अपनाये गये रुखके बारेमें बंगाल प्रान्तीय सम्मेलनमें कलकत्तासे आया हुआ तार पढ़ लिया होगा। उसमें कहा गया है कि श्री दास और उनके अनुयायियोंने प्रस्ताव पास कराते समय श्री डेकी हत्याके लिए गोपीनाथ साहाकी निन्दा करनेके साथ ही उनकी देशभक्ति और उनके ध्येयकी सराहना करते हुए इस हत्याको उच्चादर्शपूर्ण और सराहनीय बतलाया है। क्या आपकी भी राय वही है जो श्री दासकी है?

श्री गांधीने उत्तरमें कहा:

मैं नहीं जानता कि इसके बारेमें श्री दासकी क्या राय है। आपने एसोसिएटेड प्रेसका जो तार मुझे दिखाया है, उसके अलावा मैंने इस सिलसिले में अन्य ऐसी कोई

 
  1. एक अंग्रेज जो शासनतन्त्रसे किसी प्रकार भी सम्बन्धित नहीं था, पर जिसे गलतीसे एक उच्च पुलिस अधिकारी समझकर जानसे मार दिया गया था।