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१०७. महा गुजरातका कर्त्तव्य

यह समय सबकी कसौटीका है। यदि हम अपना सच्चा स्वरूप जगतके सामने रखें और खुद भी उसे समझें तो मेरा विश्वास है कि हम अपनी लड़ाई आधी जीत लेंगे। यदि हम अपना वास्तविक मूल्य जान लें और लोगोंको भी वहीं बतायें तो हम आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन जो मनुष्य अथवा समुदाय जगतके सामने अपने असली स्वरूपको न रखकर कोई दूसरा ही स्वरूप रखता है वह जगतको और अपने आपको धोखा देता है। वह आगे तो बढ़ता ही नहीं है। जैसे मृग-मरीचिकाके जलसे प्यास नहीं बुझती और हम उसके पीछे भागकर व्यर्थ श्रम करते हैं, वैसे ही अपना सही स्वरूप छुपाकर दूसरा स्वरूप दिखाना समयका दुरुपयोग करना ही है।

मैंने जेल जाते समय[१] चारों ओर मिथ्या आडम्बर देखा और मुझे अब भी वही दिखाई दे रहा है। हम सबका इस मिथ्या आडम्बरसे छुटकारा पा जाना आवश्यक है। इस विचारसे मैं अ० भा० कां० क० की आगामी बैठकमें[२] कुछ बातोंका स्पष्टीकरण करना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि कांग्रेस कमेटीके सदस्योंका चुनाव लोकतन्त्रीय पद्धतिसे किया जाता है। मैंने उसमें कोई परिवर्तन करनेका सुझाव नहीं दिया है। मैंने तो उस नियमको बदले बिना ऐसा मार्ग सुझाया है जिससे हम वस्तुतः जैसे हैं वैसे ही दिख सकें। मैंने इसीलिए यह सलाह भी दी है कि जबतक खिताबों, सरकारी स्कूलों, अदालतों, विधान-परिषदों और विदेशी कपड़ेके बहिष्कारका प्रस्ताव बना हुआ है तबतक इस समस्त कार्यक्रममें जिनकी श्रद्धा न हो उन सबको चाहिए कि वे कांग्रेस कमेटीसे हट जायें।

कांग्रेस क्या निर्णय करती है, यह हमें बादमें मालूम होगा। गुजरात क्या करना चाहता है यह तो हम आज भी जान सकते हैं। प्रत्येक प्रान्त अपनी स्थितिको साफ कर सकता है और ऐसा करना उनका कर्तव्य भी है।

मेरी दृष्टिसे सबसे बड़ा रचनात्मक कार्य चरखा चलाना है। उसकी स्वराज्य प्राप्तिकी शक्तिमें जिसका विश्वास न हो वह कांग्रेसमें रहकर क्या कर सकता है? हाँ, सदस्य कांग्रेसके उपर्युक्त प्रस्तावको बदल सकते हैं अथवा बदलवानेकी कोशिश कर सकते हैं। लेकिन जबतक यह प्रस्ताव मौजूद है तबतक उन्हें कांग्रेसकी कार्यकारिणी कमेटियोंसे अलग रहना चाहिए।

लेकिन यदि उनको चरखेकी शक्तिमें विश्वास हो तो उन्हें चरखेके शास्त्रको पूरी तरह समझ लेना चाहिए और अच्छेसे-अच्छा सूत कातनेकी शक्ति प्राप्त कर लेनी चाहिए। इतना ही नहीं वरन् उन्हें थोड़ा बहुत सूत कांग्रेसको भेंट करना चाहिए। मेरी माँग तो प्रतिमास केवल दस तोले सूतकी है। इतना सूत प्रतिदिन आधा घंटा चरखा चलानेसे आसानीसे काता जा सकता है।

 
  1. मार्च १९२२ में।
  2. जो २७ जूनको अहमदाबादमें होनेवाली थी।