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भेंट:'हिन्दू' के प्रतिनिधिसे

लगभग भूखों मारना। इस प्रतिबन्धका निराकरण तुरन्त किया जाना चाहिए। ताल्लुका परिषदने प्रान्तीय कमेटीसे सलाह माँगी है। प्रान्तीय कमेटीका कोई प्रस्ताव पास करनेसे पहले कमिश्नर महोदयसे पत्र लिखकर स्थितिकी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और ऐसा प्रतिबन्ध कबतक रहेगा यह भी जान लेना चाहिए। यदि किसानोंमें तनिक भी साहस है तो श्री वल्लभभाईने इसका उपाय अपने भाषणमें बता ही दिया है। लेकिन ऐसे उपाय तो अन्तिम ही हैं। इससे पहले तो बहुतसे कदम उठानेकी जरूरत है।

हम दूसरे प्रस्तावपर आगामी सप्ताह विचार करेंगे।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, ८-६-१९२४

१०९. पत्र: देवचन्द पारेखको

ज्येष्ठ सुदी ६ [ ८ जून, १९२४ ][१]

भाईश्री देवचन्दभाई,

किसी व्यक्तिने मुझे संलग्न अंश भेजा है। रेखांकित पँक्तियोंको पढ़ जाइये। क्या यह बात सच है? और यदि सच है तो यह काम किसका है?

वल्लभभाई, देवदास और बा सभी साथ निकलेंगे। बहुत करके दशमीकी सांझको।

मोहनदासके वन्देमातरम्

मूल गुजराती पत्र ( जी० एन० ५७३२ ) की फोटो-नकलसे।

११०. भेंट: 'हिन्दू' के प्रतिनिधिसे

अहमदाबाद
८ जून, १९२४

...महात्माजीने मुझे अपने पास बैठनेको कहा और मेरा आनेका उद्देश्य पूछा। मैंने श्रद्धापूर्वक उनके पास जाकर प्रणाम किया। उत्तरमें वे अपने स्वभावके अनुकूल झुके और मुसकुराये। मैंने उनको बताया कि मैं उनके दर्शन करने तथा उनसे भेंट करनेके लिए आया हूँ। उन्होंने प्रसन्नतापूर्वक मुझे भेंट देना स्वीकार किया। नीचे प्रश्नोत्तर दिये जा रहे हैं।

मैंने प्रारम्भमें उनके स्वास्थ्यके बारेमें पूछा। उन्होंने बताया कि वे अच्छे होते जा रहे हैं। फिर कुछ समय तक दूसरे मामलोंपर चर्चा होती रही और फिर बातचीत भेंटके मुख्य विषयपर आ गई।

 
  1. बा और देवदास भावनगरके लिए ११ जून, १९२४ को रवाना हुए थे। देखिए "पत्रः वसुमती पंडितको", ११-६-१९२४। इस वर्ण ज्येष्ठ सुदी ६,८ जूनको पड़ी थी।