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'महात्मा' से बचाइए

मेरे नामके साथ 'महात्मा' शब्द जोड़नेकी बातपर सिराजगंज सम्मेलनमें जो-कुछ हुआ, उससे मुझे बहुत कष्ट पहुँचा है। एक सज्जन बोलते समय मेरे नामके साथ यह शब्द नहीं लगा रहे थे। इसपर कुछ लोगोंने, जिन्हें मेरे नामके साथ महात्मा शब्द जोड़नेका मोह-सा हो गया है, शोर-गुल मचाकर उन सज्जनका बोलना मुश्किल कर दिया और कुछने उनसे यह शब्द जोड़नेके लिए अनुनय-विनय की। मेरा कहना है कि इन दोनों ही प्रकारके लोगोंने इस प्रकार न तो मेरा और न हमारे उद्देश्यका ही कोई भला किया है। उन्होंने अहिंसाके ध्येयको हानि पहुँचाई और मुझे कष्ट दिया। उनकी जोर-जबरदस्तीसे उन सज्जनने यदि इस विशेषणका प्रयोग किया भी होता तो इससे उन्हें क्या आनन्द आ सकता था? लेकिन उन सज्जनको मैं इस बातके लिए बधाई देता हूँ कि उन्होंने दबावमें आकर उस शब्दका प्रयोग करनेके बजाय सम्मेलनसे अलग हो जाने का साहस दिखाया। मेरा विचार है कि मैं जिस उद्देश्यको लेकर चल रहा हूँ, उन सज्जनने मेरे अन्ध-प्रशंसकोंकी बनिस्बत उसे अधिक अच्छा समझा है। मैं अपने सभी प्रशंसकों और मित्रोंको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि वे 'महात्मा' शब्दको भूलकर मुझे सिर्फ 'गांधीजी' के रूपमें याद करें, जैसा कि उन सज्जनने पूरी शिष्टताके साथ किया, अथवा वे मुझे सिर्फ गांधी ही कहें, तो उससे मुझे अधिक खुशी होगी। मेरा सबसे बड़ा सम्मान इसीमें है कि मित्रगण, मैं जिस कार्यक्रमको लेकर चल रहा हूँ उसे अपने जीवन और आचरणमें उतारें और अगर उस कार्यक्रममें उनका विश्वास न हो तो वे उसका जितना हो सकता है उतना विरोध करें। कर्मके इस युगमें अन्ध-श्रद्धाका कोई मूल्य ही नहीं है। श्रद्धा-पात्रको उससे अक्सर परेशानी होती है और दुःख भी।

एक उपयुक्त प्रश्न

एक सज्जन लिखते हैं[१]---

आपने स्वराज्यवादियोंसे लगभग यह कह दिया है कि वे कांग्रेसकी कार्यकारिणी समितियोंसे तत्काल त्यागपत्र दे दें। इसमें यह बात मान ली गई है कि देशमें उनकी संख्या कम है और यदि सारे देशमें नहीं तो कमसे-कम कांग्रेसमें अपरिवर्तनवादियोंका बहुमत है। यह बात सच है कि गयामें साफ तौरपर उनका बहुमत था। परन्तु दिल्ली और कोकनाडाके अधिवेशनोंमें दोनों दलोंकी सदस्य-संख्या संदिग्ध रही। देशका वायुमण्डल तो निःसन्देह ही अपरिवर्तनवादियोंके पक्षमें रहा है; क्या इसका कारण यह नहीं था कि आपका यरवदा जेलमें रहना और लोगोंके हृदयमें आपके व्यक्तित्वके प्रति भक्ति-भावसे पूर्ण होना था। लेकिन क्या अब हमें इस बातका निश्चित तौरपर पता नहीं लगा लेना चाहिए कि हम लोग स्वतन्त्र रूपसे अपरिवर्तनवादियोंके पक्षमें या यों कहिए कि परिवर्तनवादियोंके विपक्षमें हैं या नहीं?...

 
  1. अंशतः उद्धृत किया जा रहा है।