पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/३००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तोड़नेके लिए सजा भी थोड़ी ही दी जाती है। इसलिए अगर केनियाके भारतीय तबतक युद्धको जारी रखनेके लिए कटिबद्ध हैं जबतक कि उनके साथ न्याय नहीं किया जाता तो उन्हें सविनय अवज्ञाके लिए राज्य द्वारा बनाये गये नैतिकतासे सम्बन्ध न रखनेवाले कुछ ऐसे कानून खोज निकालने होंगे, जिनके विरोधमें लोग चाहें तो अपेक्षाकृत अधिक संख्यामें संघर्षरत हों और तीव्रतर कष्ट सहनका अवसर प्राप्त करें। केनिया कमेटीसे, जिसकी बैठक लन्दनमें हो रही है, उन्हें कुछ दिनोंके लिए राहत मिल सकती है। यहाँ आन्दोलन करनेसे भी वहाँ उनको प्रोत्साहन मिल सकता है, लेकिन सच्चा उपाय तो उन्हींके हाथमें है। उन्हें अपने खिलाफ किसी भी सही शिकायतका कारण न रहने देना चाहिए और साथ ही सविनय अवज्ञा शुरू करके एक सर्वसामान्य उद्देश्यके लिए बहुत दिनोंतक कष्ट सहन करनेकी हिम्मत दिखानी चाहिए। तब सफलता मिले बिना न रहेगी।

मूक साधनाका महत्त्व

बड़ोदादा (द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर) ने मुझे निम्नलिखित पत्र[१] भेजा है:

मेरी इच्छा है कि बड़ोदादाके पत्रमें निहित इस सुन्दर विचारको सभी कार्यकर्त्ता अपने मनमें संजोकर रखें और उन्हींकी तरह ऐसा मानें कि जब नाम मिट चुकेंगे, सभी सच्चे काम तब भी धरतीपर बने रहेंगे।

१८१४ और १९१४

खादी प्रतिष्ठानके बाबू क्षितीशचन्द्र दास गुप्ता कहते हैं कि सिर्फ कलकत्तेसे ही १८१४ में दो करोड़ (आजके १२ करोड़के बराबर) की खादी निर्यात की गई थी और १९१४ में भारतने ६६ करोड़ रुपयेके कपड़ेका आयात किया। फिर अगर हम एक दरिद्र राष्ट्र बनकर रह गये हैं तो इसमें आश्चर्य ही क्या। यदि हमने कताई और बुनाईके बदले कोई और उद्योग छोड़ दिया होता तो आज हमारी दशा इतनी बुरी न होती। हम वैसा नहीं कर सके क्योंकि हमारे राष्ट्रीय उद्योगकी हत्या जान- बूझकर की गई है और उसके हत्यारोंने उसके बदलेमें हमें कोई और उद्योग भी नहीं दिया।

त्रिवेन्द्रम जेलमें चरखा

त्रिवेन्द्रम सेंट्रल जेलके एक सत्याग्रही कैदी श्री के० कुमार लिखते हैं:

आजका दिन मेरे जीवनके सबसे आनन्ददायक दिनोंमें से है, क्योंकि (एक मास पूर्व) आजके ही दिनमें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था।...मौन रखकर कताई करते हुए जितना सुत तैयार किया है, उसे भेज रहा हूँ ...। यहाँ लगभग ६ बजे सुबहसे लेकर ६ बजे शामतक हर रोज चरखा चलता है। मैं हर रोज कमसे-कम तीन घंटे कताई करता हूँ...।

 
  1. पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है।