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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खराब थे। आचार्य रामदेवने जिन बड़े-बड़े लोगोंका उल्लेख ऊपर किया है उनके द्वारा उस महान् सुधारककी की गई प्रशस्तिके ठीक-ठीक शब्द क्या हैं सो तो मुझे मालूम नहीं, पर उनके साथ प्रशस्तिमें शामिल होते हुए भी मैं अपनी इसी रायपर कायम रह सकता हूँ।[१] मैं अपनी पत्नीकी त्रुटियोंको जानता हूँ, पर इस कारण मैं उसे कम स्नेह नहीं करता। मेरी आलोचना करनेवाले लोगोंने यह मान लेनेकी गलती की है कि चूँकि मैंने उनके समाज-संस्थापकपर टीका-टिप्पणी की है, इसलिए मेरा उनके प्रति प्रेम और आदर नहीं है। मैं आचार्य रामदेवको यकीन दिलाता हूँ कि मैंने 'सत्यार्थ प्रकाश' के तमाम समुल्लासोंको पढ़ा है। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी व्यक्तिके नैतिक उपदेशके उच्च होते हुए भी उसका दर्शन संकुचित हो सकता है। मेरे कितने ही मित्र जो नैतिक दृष्टिसे मुझे और मेरी नैतिक शिक्षाओंको बहुत ऊँचे दरजेका मानते हैं, मेरे जीवन-सम्बन्धी विचारोंको संकुचित और कट्टरतासे पूर्ण मानते हैं। मैं उनकी इस आलोचनाका बुरा नहीं मानता, हालाँकि मैं मानता हूँ कि जीवन-विषयक मेरा दृष्टिबिन्दु विशाल है और मैं मनुष्य जातिके अत्यन्त सहनशील लोगोंकी श्रेणीमें आ सकता हूँ। मैं अपने आर्यसमाजी मित्रोंको यकीन दिलाता हूँ कि यदि मैंने उनकी आलोचना की है तो उसी दृष्टिसे जिस दृष्टिसे मेरी आलोचना उन्हें करनेका अधिकार है। इसलिए हम दोनोंका हिसाब चुकता हुआ। वे मुझे देशमें सबसे अधिक अज्ञानी और असहिष्णु समझना चाहें तो समझें, लेकिन मैंने जो सम्मति व्यक्त की है मुझे उसपर कायम रहनेकी स्वतन्त्रता दें।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १९-६-१९२४

१४०. अग्नि परीक्षा

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी अगली बैठकमें मैं नीचे लिखे चार प्रस्ताव पेश करना चाहता हूँ:

१. इस बातको ध्यानमें रखते हुए कि स्वराज्यकी स्थापनाके लिए चरखा और हाथकती खादीके आवश्यक माने जानेपर भी और कांग्रेसके द्वारा सविनय अवज्ञाके लिए पेराबन्दीके तौरपर उनकी स्वीकृति होते हुए भी देशके तमाम कांग्रेस संस्थाओंके सदस्य खुद ही अबतक हाथकताईकी उपेक्षा करते रहे हैं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी निश्चय करती है कि विभिन्न प्रातिनिधिक कांग्रेस संगठनोंके सभी सदस्य बीमारी अथवा लगातार सफरकी हालतको छोड़कर, रोज कमसे-कम आध घंटा चरखा चलायेंगे और कमसे-कम १० नम्बरका १० तोला एक-सा और पक्का सूत अखिल भारतीय खादी बोर्डके मन्त्रीके पास भेज देंगे। यह हर महीनेकी १५ तारीखतक उन्हें मिल

 
  1. आचार्य रामदेवने इस सन्दर्भमें श्री अरविन्द, ह्यूम, सर सैयद अहमद, रानडे, तेलंग और विशन नारायण दर आदिके नामका उल्लेख किया था।