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पत्र: गंगाबहन वैद्यको

अब दूसरा प्रश्न। मेरी मति मुझे यह बताती है कि ईश्वरने हमें बुद्धि आत्म-दर्शनके लिए दी है। आजीविका कृषि इत्यादिसे प्राप्त करनी चाहिए। जगत्में जो अनीति होती है उसका बड़ा सबब बुद्धिका दुरुपयोग है। बुद्धिके ही दुरुपयोगसे जगतमें बड़ी असमानता फैल गई है। करोड़ों भीख माँगते हैं और सौ-दोसौ करोड़पति बनते हैं। सच्चा अर्थशास्त्र वह है जिससे प्रत्येक स्त्री-पुरुषको शारीरिक उद्यमसे आजीविका मिले। प्राचीनकालमें हमारे ऋषि लोग कृषि करते थे, गोशाला रखते थे। विद्यार्थी जंगलोंमें जाकर लकड़ियाँ लाते थे, इत्यादि।

अब रहा तीसरा प्रश्न। श्रम विभाजनकी कुछ भी हानि नहीं होती है। क्योंकि बढ़ई, सुनार इत्यादिको बुनाई करनेकी सलाह नहीं दी जाती। जो नौकरी करते हैं, वकालत करते हैं, जिनके पास कुछ भी धन्धा नहीं है, उनको बुनाईसे आजीविका पैदा करनेकी सलाह अवश्य दी जाती है। कताईको तो मैं आधुनिक कालमें और इस क्षेत्रमें यज्ञ समझता हूँ। बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष, धनिक, गरीब सबके लिए कताई आवश्यक यज्ञ हैं। भले लोग भूखों मरते हैं। वे कताई करके पेट भरें। परन्तु दूसरे सब उनके निमित्त प्रतिदिन ईश्वरके नामका स्मरण करते हुए कातें।

हिन्दी नवजीवन, २२-६-१९२४

१५२. पत्र: गंगाबहन वैद्यको[१]

ज्येष्ठ बदी ६ [ २२ जून, १९२४ ][२]

पूज्य गंगाबहन,

आपका पत्र मिला। आप एक महीनेमें यहाँ आ सकती हैं, मुझे यह जानकर हर्ष हुआ। जब हमारा मन दुःखी हो तब निश्चय ही दूसरोंके दोष देखनेकी अपेक्षा अपना ही दोष देखना अच्छा होता है।

आप अपनी पुत्रवधूको कदापि नहीं छोड़ सकतीं। आप अपने पुत्रसे सलाह करके काफी लम्बे अर्सेंतक अलग रहें तो मैं समझता हूँ पुत्रवधू शान्त हो जायेगी। यदि इतने थोड़ेसे समयतक भी अलग रहना सम्भव न हो तो आप दुःखको अनिवार्य मानकर सह लें। कोई माता अपने सयाने पुत्रसे पृथक् रहे, इसमें आश्चर्यकी कोई बात नहीं है। पुत्र आज्ञाकारी है, इसलिए मेरे विचारसे आपको उससे अलग रहनेमें भी कोई कठिनाई नहीं होगी। वह आपको जरूरतके मुआफिक पैसा देता रहे। यह जरूरी नहीं है कि बहूको यह बात बताई जाये। यदि पृथक् होनेपर भी सम्बन्ध मधुर

 
  1. आश्रमकी प्रमुख महिलाओंमें से एक। सन् १९२५ में इन्होंने आश्रममें महिलाओंके लिए स्वतन्त्र हिन्दी वर्गकी माँग की थी और यह खोला भी गया था। इस वर्गको स्वयं गांधीजी हिन्दी पढ़ाने लगे थे।
  2. गंगाबहन अपनी लड़कीके दो बच्चोंके साथ आश्रममें सन् १९२४ में पहुँची थीं। ज्येष्ठ बदी ६, २२ जूनको थी।
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