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जेलके अनुभव---९

जेलके अनुभव कर देते। सामाजिक बहिष्कार उसके लिए छोटेसे-छोटा दण्ड होता। यदि जेलका प्रांगण बारह इंचकी गहराईतक खोदा जाये तो उसमें से चम्मचों, छुरियों, बर्तनों, सिगरेटों और इसी प्रकारकी अन्य चीजोंके रूपमें अनेक गुप्त भेद बाहर निकलेंगे। यरवदाका सबसे पुराना बाशिन्दा होनेके नाते हरकरन कैदियोंके लिए चौधरी ही बन गया था। यदि किसी कैदीको किसी चीजकी जरूरत होती तो वह उसे हरकरनसे मिल सकती थी। मुझे अपनी पाव रोटी और नींबू काटनेके लिए छुरीकी जरूरत थी, यदि मैं उसके जरिये छुरी लेना मंजूर करता तो हरकरन छुरी लाकर दे सकता था। इसके बाद भी अगर मैं अधीक्षकसे ही उसे माँगनेकी लम्बी-चौड़ी कार्रवाईमें पड़ना चाहूँ तो फिर यह मेरी मर्जी; और इसमें झिड़क दिये जानेकी सम्भावना भी थी। जब हम दोनों दोस्त हो गये तब उसने मुझे अपने हैरत अंगेज तमाम कारनामे सुनाये कि कैसे वह अधिकारियोंको चकमा देता था, कैसे वह अपने और दूसरोंके लिए स्वादिष्ट पकवान प्राप्त करता था, जो चाहिए उसे प्राप्त करनेके लिए कैदी कौन-कौनसी चतुर चालें चलते हैं; और क्यों (उसकी रायमें) इन चालोंका सहारा न लेना असम्भव है---यह सब वह मुझे बड़े विस्तार और बड़े तपाकके साथ सुनाया करता था। जब उसे यह अन्दाज लगा कि मेरी न तो उन कारनामोंमें रुचि है और न मैं उसके धन्धेमें शामिल होना चाहता हूँ तो वह बड़े अचरजमें पड़ गया। बादमें, अपना सारा भेद खोल देनेकी जो गलती वह कर बैठा था, उसको कुछ-न-कुछ दुरुस्त करनेकी कोशिश की और मुझे यह विश्वास दिलाना चाहा कि वह मेरी बात समझ गया है और आगे ऐसे काम नहीं करेगा। किन्तु मुझे इसमें शक है! उसका पश्चात्ताप दिखावा था। किन्तु इससे पाठकको यह धारणा नहीं बना लेनी चाहिए कि कारागारके अधिकारी ऐसी हरकतसे वाकिफ नहीं हैं। ये वे राज़ हैं जिन्हें हरएक जानता है। अधिकारी इनके बारेमें जानते हों इतना ही नहीं वरन् बहुधा वे उन कैदियोंसे सहानुभूति भी रखते हैं, जो अपने सुख और आरामके लिए इस तरहके काम करते रहते हैं। अधिकारी "जियो और जीने दो" के सिद्धान्तमें विश्वास करते हैं। जो कैदी, अपने वरिष्ठ अधिकारियोंकी उपस्थितिमें सही व्यवहार करता है, उनकी आज्ञाओंका पालन करता है, अपने साथियोंसे झगड़ता नहीं और अधिकारियोंको परेशानीमें नहीं डालता, वह अधिक आराम पानेके लिए लगभग किसी भी नियमको तोड़नेके लिए स्वतन्त्र है।

तो, हरकरनसे पहली मुलाकात कुछ खास अच्छी नहीं रही। वह जानता था कि हम लोग 'असाधारण' कैदी हैं। [ किन्तु वह भी मानता है कि ] एक प्रकारसे भी तो 'असाधारण' ही हूँ। आखिर मैं भी तो जेलका एक अफसर हूँ और लम्बे अरसेतक सम्मानपूर्ण सेवा कर चुका हूँ। मेरे लिए तो आदमी-आदमी सब बराबर हैं। श्री बैंकर मुझसे दूसरे दिन सबेरे ही अलग कर दिये गये। अब हरकरनने मुझपर अपनी सत्ताका पूरा जोर आजमाना शुरू कर दिया। मुझे यह नहीं करना चाहिए, वह नहीं करना चाहिए। मुझे अमुक हदके अन्दर ही रहना चाहिए। इसका मैंने हकीमजीको लिखे गये अपने पत्रमें उल्लेख किया है। किन्तु वह जो-कुछ भी