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टिप्पणियाँ

अगर वे इसकी कोशिश करें तो उसे कोई रोक भी नहीं सकता; क्योंकि अगर कभी उनके उत्तराधिकारी लोग ऐसी अयोग्य महत्वाकांक्षा रखें तो आजके तमाम सिखों द्वारा प्रकट घोषणाको वे आसानीसे रद्दीके ढेरमें फेंक सकते हैं। अतएव हमारी सुरक्षा केवल इसी बातमें है कि हम सब लोग सबकी आजादीके लिए मिलकर काम करनेका दृढ़ निश्चय करें। यह साफ है कि व्यावहारिक दृष्टिसे भी सिखोंके सुधार-आन्दोलनको देशका नैतिक समर्थन प्राप्त होनेसे, सिखोंके दिलमें ऐसी अयोग्य महत्वाकांक्षाके बसनेके अवसर कम हो जायेंगे। वास्तवमें देखा जाये तो यह पारस्परिक सन्देह हमारी स्वराज्यकी हलचलमें अवश्य ही बाधक होता है, क्योंकि इसकी बदौलत भिन्न-भिन्न जातियोंमें हार्दिक सहयोग नहीं होने पाता और इस तरह यह इस सुन्दर देशका शोषण करनेवाली शक्तियोंको सुदृढ़ बनाता है और शायद उस महत्वाकांक्षाको भी सम्भाव्य बना देता है जो अभी स्पष्टतया असम्भव ही है। इसलिए हमें चाहिए कि हम हर जातीय हलचलको उसके गुण-दोषकी ही दृष्टिसे देखें और यदि वह अपने आपमें निर्दोष हो और उसके लिए प्रयुक्त साधन सम्मानपूर्ण, खुले और शान्तिमय हों तो हम उसका मुक्तकण्ठसे समर्थन करें।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २६-६-१९२४

१५९. टिप्पणियाँ

जा-मीन बनाम आमीन

एक मित्र लिखते हैं:

आपने भविष्यके लिए एक स्पष्ट कार्यक्रम दिया है, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मैं जानता हूँ, यह कोई नया कार्यक्रम नहीं है, आप पुराने कार्यक्रमको ही दोहरा रहे हैं; लेकिन वह हमें नया लगता है, उसे देखकर हम चौंक-से उठे हैं। इसका कारण यह है कि हम सही रास्तेसे भटक गये हैं। डेनिश भाषामें एक मुहावरा है--- "जा-मीन, "अर्थात्" हाँ, लेकिन--"यह उस भाषाके "आमीन" शब्दसे लगभग उलटा अर्थ देता है। आमीनका अर्थ सिर्फ "हाँ" है। हममें से अधिकांश लोग "जा-मीन" में ही विश्वास रखते जान पड़ते हैं। हम लोग यही कहते जान पड़ते हैं कि 'हाँ, हमने वायदा तो किया था कि हम सरकारी संस्थाओंका बहिष्कार करेंगे, अपने ऊपर जुल्म करनेवालोंकी गुलामी नहीं करेंगे; लेकिन इनके बिना हमारा काम कैसे चल सकता है? यह "लेकिन" का चक्कर शैतानके दिमागकी उपज है।

दुर्भाग्यसे ये शैतान महोदय सदा हमारे साथ रहते हैं। वे हमारी कमजोरियोंको उभाड़ते हैं, उनके जरिये हमपर अपना असर डालते हैं और अपने माया-जालमें फँसा लेते हैं। राष्ट्रीय कार्यकर्त्ताओंको शैतानके पंजेसे निकलना होगा और सब "लेकिनों" को