पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/३३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

स्वाहा कर देना होगा। यदि उनका मतलब बिना किसी शर्तके "हाँ" हो, तभी वे बहिष्कारोंके लिए "हाँ" कहें। यदि वे बहिष्कारोंमें विश्वास करते हुए भी अपनी कमजोरीकी वजहसे "हाँ" नहीं कह सकते हों तो उन्हें यह बात खुले तौरपर मंजूर करनी चाहिए। इससे उनको और देशको असीम लाभ होगा।

डा० महमूद और बलात् धर्म-परिवर्तन

हिन्दू-मुस्लिम तनावके सम्बन्धमें अपने वक्तव्यमें मैंने बलात् धर्म-परिवर्तनकी चर्चा की थी। उसके बारेमें मुझे बहुतसे पत्र प्राप्त हुए हैं- --कुछ गुस्सेसे भरे हैं और कुछमें गालियाँतक दी गई हैं। एक पत्र ऐसा जरूर था जो शान्त चित्तसे और सोच-समझकर लिखा गया था। वह पत्र श्री माधवन नायरने लिखा था और उसमें, डा० महमूदपर मैंने जो-कुछ कहनेका आरोप लगाया था, उसका विरोध किया था। पत्रको मैंने डा० महमूदके पास भेज दिया और उन्हें उसका जवाब देनेको लिखा है। ताकि पाठकोंके सामने स्वयं डा० महमूदका कथन प्रस्तुत कर सकूँ। लेकिन डा० महमूद मेरा पत्र पानेसे पहले ही उसी विषयपर मेरे नाम एक पत्र डाकमें डाल चुके थे। बात यह हुई थी कि स्वयं डा० महमूदके पास भी विरोधके बहुतसे पत्र पहुँचे थे। उनका मूल पत्र उर्दूमें है। मैं उसके सम्बन्धित अंशोंका अनुवाद नीचे दे रहा हूँ:

मेरे पास बहुतसे हिन्दू दोस्तोंके खत आये हैं। वे मुझपर इलजाम लगाते हैं कि मैंने मलाबारके बारेमें आपको गलत खबरें दीं। बाज खतोंमें मुझे जी-भर कर सख्त गालियाँ भी दी गई हैं। मेरे खयालमें उन लोगोंका गुस्सा करना ठीक ही है। आपको कहीं गलतफहमी हुई है। मैंने आपसे अर्ज किया था कि खतना करके जबरदस्ती मुसलमान बनानेकी मिताल नहीं मिलती। सिर्फ एक वाकिआका जिक्र किया गया, जो कि जनाब एन्ड्रयूजने देखा था--और उसकी ठीक तरहसे तहकीकात नहीं हो सकी थी। बाकी, सिरपर फैज टोपी पहनाकर, औरतोंको कुरती पहनाकर या चोटी काटकर मुसलमान बनानेकी तो बहुत-सी मिसालें हैं। जो नोट मैंने शुएबको लिखवाया था, उसमें भी यही था। मेहरवानी फरमाकर 'यंग इंडिया' में इसकी तरमीम कर दीजिए, नहीं तो कुछ असके बाद इसपर भी अखबारोंमें बहस शुरू हो जायेगी।

देखता हूँ, मेरे हाथों डा० महमूदके साथ अन्याय हो गया है। मैं तो खतना करके ही बलात् धर्म-परिवर्तन किये गये लोगोंकी बात सोच रहा था। इसी खयालसे हिन्दुओंके दिलको सबसे अधिक चोट पहुँची। जो हो, कमसे-कम मुझे तो सबसे ज्यादा इसी बातसे चोट पहुँची।

डा० महमूदने जिस वक्तव्यका जिक्र ऊपर किया है, वह इस प्रकार है:

बलात् धर्म-परिवर्तन

(क) खतना करके। कोई चश्मदीद गवाह नहीं। कोई सीधा सबूत नहीं मिलता। कोई मिसाल नहीं दी गई। हिन्दुओंमें से विश्वसनीय लोग कहते हैं