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भाषण: अ० भा० कां० कमेटीकी बैठकमें

जिस दिन मुझे इन मित्रका पत्र मिला उसी दिन मुझे एक दूसरे मित्रका भी पत्र मिला, जिसमें वे कहते हैं कि उन्हें कल-कारखानेका अनुभव दस बरससे है। उन्होंने मशीन कताई और हाथ-बुनाईको आजमाकर देखा है और अब वे हाथ-कताई और हाथ-बुनाईके रोजगारमें लगे हुए हैं। वे कहते हैं कि यदि हमें अपने आर्थिक कष्टोंसे छुटकारा दिलानेकी शक्ति किसी चीजमें है तो वह हाथ कताई और हाथ-बुनाईमें ही है। वे आखिर दम तक यह कहते रहनेके लिए तैयार हैं कि यही हमारी आर्थिक दुरवस्थाका हल है। मैं यह अनुभव यहाँ इसलिए दे रहा हूँ कि लोग इसे भी आजमाकर देखें। अभी तो सारा प्रयोग ही इतनी प्रारम्भिक अवस्थामें है कि उसपर कोई मुस्तकिल राय कायम नहीं की जा सकती; परन्तु इतनी बात तो साफ है कि चरखा ही आज बहुतेरे गरीब घरोंमें राहत देनेका जरिया बन रहा है और दूसरी कोई चीज उसकी जगह नहीं ले सकती। और निम्नलिखित उक्ति चरखेके लिए जितनी सचाईके साथ कही जा सकती है, उतनी किसी दूसरी चीजके लिए नहीं:

"इसपर किया हुआ श्रम व्यर्थ नहीं जाता और इसमें निराशाके लिए स्थान नहीं है। इसका स्वल्प भी महान् संकटोंसे बचा सकता है।"

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २६-६-१९२४

१६०. भाषण: अ० भा० कां० कमेटीको बैठकमें[१]

अहमदाबाद
२७ जून, १९२४

अध्यक्षने पण्डित मोतीलाल नेहरू द्वारा नियमका प्रश्न उठाये जानेपर श्री गांधीसे उसका स्पष्टीकरण करनेके लिए कहा। श्री गांधी हिन्दीमें बोले।[२] उन्होंने

 
  1. गांधीजीने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी २७ जूनसे लेकर २९ जून तककी बैठकमें चार प्रस्ताव पेश किये थे। उनके द्वारा पहला प्रस्ताव पेश किये जानेपर पण्डित मोतीलाल नेहरू तथा श्री चितरंजन- दासने प्रस्तावका विचारार्थं पेश किया जाना ही नियमके विरुद्ध बतलाया। श्री दासका कहना था कि धारा २१ के अन्तर्गत केवल नये विषयपर ही विचार किया जा सकता है। जबतक कोई नया प्रश्न नहीं उठाया जाता तबतक कांग्रेस अपने नियम बनानेके अधिकारोंका उपयोग कर सकती है। धारा ३१ के अन्तर्गत कताईको अनिवार्य बनानेका यह प्रस्ताव वैध नहीं हो सकता, क्योंकि इससे निर्वाचकोंके अपना प्रतिनिधि चुननेके मूल अधिकारका उल्लंघन होता है। इसके अतिरिक्त इस प्रस्तावसे पदेन सदस्योंपर, जैसे भूतपूर्व अध्यक्षोंपर अनुचित प्रहार होता है और उन्हें जो संवैधानिक अधिकार इस समय उपलब्ध हैं, उनसे वे वंचित होते हैं। गांधीजीके भाषणके विवरण अ० प्रे० ऑफ इंडियाके संवाददाता तथा हिन्दूके विशेष संवाददाताने प्रस्तुत किये गये थे। यह विवरण उन दोनोंके आधारपर तैयार किया गया है। प्रस्तावके लिए देखिए, "अग्नि परीक्षा", १९-६-१९२४।
  2. मूल हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है। यहाँ अंग्रेजीसे अनुवाद दिया गया है।