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भाषण: अ० भा० कां० कमेटीकी बैठकमें

लगेगा और मेरे पक्षने भी मेरे प्रति व्यक्तिगत वफादारीके कारण ही मेरे पक्षमें मत दिये हैं तो मैं कांग्रेससे अपना सम्बन्ध तोड़ लूँगा।

मेरी स्थिति विषम है। आज देश मुझसे नेतृत्वकी आशा रखता है। मुझे स्वीकार करना चाहिए कि मैं कुछ निश्चित शर्तोंपर ही नेतृत्व कर सकता हूँ। लेकिन इसके लिए मुझे अपनी जरूरतके साधनों और उपकरणोंकी खोज करनी होगी। इसीलिए मैंने आज देशमें मतभेद उत्पन्न होने और प्रियसे-प्रिय मित्रोंसे जुदा होनेकी जोखिम उठाकर भी इन प्रस्तावोंको पेश किया है।

लेकिन आज जो स्थिति है उसमें मेरी अक्ल काम नहीं करती। इसलिए आपको या तो किसी दूसरे नेताकी तलाश करनी होगी या नेतृत्वकी मेरी शर्तें स्वीकार करनी होंगी। मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। बिना किसी प्रयोजनके कोई भी व्यक्ति जान-बूझकर विधि-सम्मत संविधानका उल्लंघन नहीं करना चाहता। मैंने तीसरे प्रस्ताव[१] में उल्लंघन किया है। मैंने कहा है कि कोई संविधान तभीतक अच्छा कहा जा सकता है जबतक वह हमें आगे बढ़नेमें मदद दे। जब वह हमें पीछे खींच रखने अथवा कायर बनानेमें कारणीभूत होता जान पड़े तब हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए। यह सच है कि यदि कांग्रेस प्राणवान् संस्था है तो वह आपको संविधानका ऐसा उल्लंघन करनेपर दण्ड देगी। मैं तो कहता हूँ कि यदि कांग्रेस दण्डित करे और हमें निकाल बाहर करे तो हममें वहाँसे निकल जाने और अधिक अच्छे सेवकोंके लिए जगह खाली करनेकी हिम्मत होनी चाहिए। लेकिन यदि हम यह मानते हों कि हम वर्तमान संविधानको रौंदे बिना और आगे बढ़े बिना स्वराज्यको निकट नहीं ला सकेंगे तो संविधानको ताकपर रखना और उसका उल्लंघन करना हमारा पवित्र कर्तव्य हो जाता है। ऐसा होनेपर भी जब मैंने देखा कि कार्यकारिणी समिति मेरे प्रस्तावोंको अपनी सिफारिशके रूपमें अ० भा० कां० कमेटीके आगे रखनेके लिए तैयार है तब मैंने अपने तीसरे प्रस्तावमें कुछ परिवर्तन कर दिये।

मैं आज सुबह तीन बजेसे अपने मनमें सोच रहा हूँ कि इस अवसरपर मेरा धर्म क्या है। मैंने चारों ओरसे विचार करके देखा। पण्डितजीके मेरे विरुद्ध कानूनी आपत्ति सम्बन्धी प्रस्तावपर प्राप्त मतोंसे पता चलता है कि बंगालको छोड़कर अधिकतर प्रान्त इस तरहके कार्यक्रमको स्वीकार करनेके पक्षमें हैं। वस्तुतः देखा जाये तो कलका मतदान परिस्थितिका सच्चा चित्र उपस्थित करता है। यदि यह अ० भा० कांग्रेस कमेटीकी मनःस्थितिका सच्चा परिचायक हो तो मेरा इस निर्णयपर पहुँचना उचित ही हुआ है कि अधिकांश प्रान्त इन प्रस्तावोंके पक्षमें हैं। इसलिए मैंने सभी प्रान्तोंके एकमत होनेकी सम्भावनापर विचार किया। खादी कोई छोटी-मोटी चीज नहीं है। इसलिए नहीं कि हम खादी पहनने लगे हैं, बल्कि इसलिए कि खादीने हमारे जीवनमें एक ऐसी वस्तुके प्रतीकके रूपमें प्रवेश किया है जिसे हम किसी अन्य तरीकेसे नहीं पा सकते हैं। इस समय अकेली खादी ही हमें एक सूत्रमें बाँध सकती है। इसके द्वारा

 
  1. प्रतिनिधियोंके चुनावसे सम्बन्धित।