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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपको यह समझ लेना चाहिए कि आप जो प्रस्ताव एक बार पास कर दें उसपर पूरी तरहसे अमल करना आपका पवित्र कर्तव्य हो जाता है। इस कर्त्तव्यके आगे हममें से सर्वश्रेष्ठ मनुष्यको भी झुकना चाहिए।

यदि हम तैयार न हों, यदि हममें फूट हो और यदि अंग्रेज हमें आज ही स्वराज्य दे दें तो भी हमारे पारस्परिक झगड़े-फसादोंकी कोई सीमा न होगी। मेरा कहना है कि यदि अंग्रेजोंके जानेके बाद उनके स्थानपर अफगान अथवा जापानी आनेको हों तो स्वराज्यकी योग्यता सम्बन्धी हमारी सारी बातें और कोशिशें निकम्मी हैं। मैं तो यह देखना चाहता हूँ कि आप अंग्रेजोंसे स्वराज्य अपने बलपर लें; मैं आपको भेंटके रूपमें स्वराज्य लेते हुए देखना नहीं चाहता। ब्रिटिश संसद हमारे सम्बन्धमें क्या कहती है, मुझे इसकी परवाह रत्ती-भर भी नहीं है। उसी तरह यूरोपके लोगोंकी हमारी प्रवृत्तिके बारेमें क्या राय है, मुझे इसकी भी कोई चिन्ता नहीं है, लेकिन एक सामान्य नागरिक हमारे सम्बन्धमें क्या कहता है, मैं यह जाननेके लिए अवश्य ही बेचैन हूँ।

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि हम तनिक भी विचार करें तो हमें सहज ही यह दिखाई दे जायेगा कि इससे जल्दी पूरा होनेवाले कार्यक्रमकी कल्पना नहीं की जा सकती। इस कार्यक्रमको अमलमें लाते ही स्वराज्य मिला समझिए। १९२०-२१ के प्रसिद्ध वर्षमें आपने कुछ अंशतक इस कार्यक्रमपर अमल किया था। उसका प्रभाव क्या हुआ था यह सभी जानते हैं। यह सब गांधीकी खातिर किया गया हो सो बात नहीं है। गांधीको तो अनेक बातें बेहद प्यारी हैं। यदि गांधीने उन सबको देशके आगे रखा होता तो लोग कदाचित् उसे दुत्कार कर हटा देते। लेकिन गांधी तो देशकी नाड़ी देख चुका है। वह अपने कार्यक्रमके लिए मर मिटनेको तैयार है। यदि आप मुझे आज त्याग देंगे तो आप मुझे बड़बड़ाते हुए अथवा मुँह बिगाड़कर नहीं बल्कि विनयपूर्वक और प्रसन्नतासे बाहर जाता हुआ देखेंगे। मैं बाहर रहकर स्वतन्त्र संघ अथवा मण्डलकी स्थापना करनेका प्रयत्न करूँगा। मैं आपके कार्यमें विघ्न नहीं डालूँगा। मैं अड़ंगा लगानेकी नीतिमें विश्वास नहीं रखता। मैं तो नितान्त शुद्ध और निर्मल असहयोगमें ही विश्वास रखनेवाला व्यक्ति हूँ और आपके साथ भी असहयोग करूँगा।

यदि आप इन प्रस्तावोंको बहुमतसे पास करना चाहते हैं तो उसकी क्या कीमत चुकानी पड़ेगी? आपको इसे समझ लेना है। आपको हर महीने खादी संघको कमसे-कम २,००० गज सूत देना पड़ेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि आपको भी मेरी ही तरह चरखेके पीछे पागल होना पड़ेगा। यदि आपकी श्रद्धा इतनी प्रखर नहीं है तो आप इन प्रस्तावोंको अवश्य अस्वीकृत कर दें। यदि आपको ऐसा जान पड़े कि इस कदमको उठाना आत्मघात करना है तो आप इसके विरुद्ध मत दें और कांग्रेसके आगामी अधिवेशनमें लोगोंको अपनी ओर करनेका प्रयत्न करें। सच पूछिए तो कांग्रेस किसी एक व्यक्तिकी थाती नहीं है। जो व्यक्ति देशकी अधिकसे-अधिक सेवा करेगा, वह तो उसीके हाथमें रहेगी। ऐसा कहा जाता है कि इन प्रस्तावोंको पास करानेका मेरा उद्देश्य कांग्रेसपर अधिनायकत्व प्राप्त करना है। जबतक मेरा दिमाग दुरुस्त