पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/३५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१६५. डाका पड़ने पर

जब घाटकोपरमें[१] डाके ज्यादा पड़ने लगे तब वहाँके निवासी घबरा गये। ऐसी स्थितिमें सभी घबरा जाते हैं। अब नगरपालिकाने उचित उपाय किये हैं। इस कारण तथा बरसातमें डाकुओंके लिए भागनेकी सुविधा कम हो जानेके कारण डाके पड़नेका भय बहुत कम हो गया है। इसलिए घाटकोपरके वासियोंको तात्कालिक उपाय क्या करने चाहिए, इसपर विचार करनेकी जरूरत नहीं रहती।

लेकिन अतिरिक्त पुलिसकी व्यवस्था करना कोई सही उपाय नहीं है। ऐसे उपाय तो हमेशा किये गये हैं; लेकिन उससे डाके बन्द तो नहीं हुए। अमेरिका-जैसे बहुत ही उन्नत देशमें चलती गाड़ियोंमें डाके डाले जाते हैं। साहसिक लुटेरे दिन-दहाड़े राहगीरोंको सार्वजनिक मार्गोंपर लूट सकते हैं। चोरियाँ तो होती ही रहती हैं। अनेक अनुभवी पर्यवेक्षकोंकी मान्यता है कि सभ्यताकी प्रगतिके साथ-साथ अपराध भी बढ़े हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अपराधका स्वरूप बदल गया है। लोगोंके परिष्कारके साथ-साथ अपराध करनेके तरीके भी परिष्कृत हो गये हैं। अपराधोंको खोज निकालनेकी शक्तिके साथ-साथ अपराध छिपानेकी शक्तिमें भी वृद्धि हुई है; अर्थात् हम जहाँके तहाँ बने हुए हैं।

अब हम यह देखें कि लोग डाकू कब और किन परिस्थितियोंमें बनते हैं। जंगलोंमें बसनेवाले अपरिग्रही साधुओंको कोई नहीं लूटता। उन्हें लूटनेवालेको मिलेगा भी क्या? डाकू पैसेके लोभसे ही डाका डालता है। यदि लोग पैसेके लोभकी सीमा निर्धारित कर लें तो लूटपाट भी अपेक्षाकृत कम हो जायेगी। यदि सबके पास एक-सा पैसा हो तो लूटपाटका धन्धा ही बन्द हो जायेगा। लेकिन हमें समझ लेना चाहिए कि ऐसी शुभ स्थिति कमसे-कम आजके जमानेमें तो अवश्य ही नहीं आ सकेगी।

फिर भी हमें उपर्युक्त सिद्धान्तको ध्यान में रखनेकी जरूरत है। हम भले ही धनके लोभकी सीमा निर्धारित न करें; परन्तु हमें डाकुओंकी स्थितिको समझनेका प्रयत्न तो करना ही चाहिए। यदि वे भूखों मर रहे हों तो हम उन्हें कोई उद्योग करना सिखायें और यदि उन्होंने लूटमारको ही आजीविका कमानेका साधन बना लिया हो तो हम उन्हें उस अनीति के अनौचित्यसे अवगत करायें। यह काम सुधारकका है। इसलिए इसके लिए साधु सबसे उपयुक्त होंगे। साधु वह नहीं है जो भगवा पहन कर भीख माँगता है बल्कि साधु वह है जिसका हृदय भगवे रंगमें रंग गया है और जो सेवा-धर्मपरायण है।

डाकुओंके सुधारका कार्य जब डाकू डाका डाल रहे हों तब आरम्भ नहीं किया जा सकता। ऐसा काम तो आज ही शुरू कर दिया जाना चाहिए। उसमें धनकी बहुत ज्यादा अथवा तनिक भी आवश्यकता नहीं होती। उसके लिए बहुतसे लोगोंकी

 
  1. बम्बईका एक उपनगर।