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प्रस्ताव: अ० भा० कां० कमेटीकी बैठकमें

विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करनेका अधिकार होगा जिसमें पदच्युत करना भी शामिल है। ऐसे मामलोंमें, जहाँ प्रान्तीय अधिकारियोंकी गलती हो, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी कार्यकारिणी समितिको ऐसी अनुशासनात्मक कार्रवाई करनेका अधिकार होगा जिसे प्रान्तीय कमेटियोंकी सम्बन्धित समितियाँ उपयुक्त समझें। इस कार्रवाई में पदच्युत करना भी शामिल है।

प्रस्ताव पेश करते हुए श्री गांधीने कहा कि कल रात पण्डित मोतीलाल नेहरू, चितरंजनदास तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद मेरे पास आये थे और उन्होंने मुझसे पूछा था कि कल पास किये गये प्रस्तावमें से मैंने दण्ड-विषयक धारा क्यों निकाल दी है। उन्होंने मुझसे यह भी पूछा था कि उस समय मेरे मनकी वृत्ति क्या थी। मैंने उन्हें वही बात बताई जो कल बैठकमें बताई थी और वह यही कि उस धाराके पक्षमें वास्तविक बहुमत नहीं था। इसलिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके सामने प्रतिष्ठापूर्ण मार्ग यही था कि वह उस धाराको रद कर दे। श्री दासकी दण्ड-विषयक धाराके विरुद्ध उठाई गई आपत्तियोंको विस्तारपूर्वक समझाते हुए श्री गांधीने कहा कि श्री दास उन लोगोंके सामने रखे गये समझौतेसे सहमत हो गये हैं और साथ ही इस बातसे भी सहमत हो गये हैं कि वे रचनात्मक कार्यक्रमपर अपनी पूरी शक्तिसे अमल करेंगे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी कार्यकारिणी समितिमें भी शामिल होंगे। इसका मसविदा तैयार करते हुए मैंने किसीकी भी सलाह नहीं ली है। मने स्वराज्यवादियोंको सन्तुष्ट करनेकी पूरी कोशिश की है। इस प्रकार मैंने अपना समझौता समितिके सामने रखा है। मैं आप लोगोंसे कहता हूँ कि आप इस प्रस्तावपर विचार करते समय एक क्षणके लिए मुझे अपने मनसे निकाल दें।

उन्होंने आगे कहा:

यदि आप प्रस्तावको अस्वीकार करना चाहते हैं तो इसे अस्वीकार कर दें किन्तु यदि आप इसे पास करना चाहते हों तो इसके उत्तरदायित्वोंको अपने कन्धोंपर लें।[१]

प्रस्ताव ३: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी कांग्रेसके मतदाताओंका ध्यान इस तथ्यकी ओर खींचती है कि पाँचों बहिष्कार अर्थात् मिलके बने वस्त्रों, सरकारी न्यायालयों, शैक्षणिक संस्थाओं, पदवियों तथा विधान मण्डलोंका बहिष्कार अब भी कांग्रेस कार्यक्रमके अंग हैं, बहिष्कार केवल कोकोनाडा प्रस्तावसे प्रभावित अंशोंपर लागू नहीं होता। इसलिए समिति यह वांछनीय समझती है कि जो कांग्रेसी मतदाता कांग्रेसके कार्यक्रमपर विश्वास करते हैं वे उन लोगोंको विभिन्न कांग्रेस संगठनोंमें निर्वाचित न करें जो कोकोनाडा प्रस्तावके प्रभावित अंशोंके अतिरिक्त उक्त पाँच बहिष्कारोंपर स्वयं अमल करनेमें विश्वास नहीं करते। इसलिए अखिल भारतीय

 
  1. वल्लभभाई पटेलने प्रस्तावका समर्थन किया और जो बिना बहसके सर्वसम्मतिसे पास कर दिया गया।
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