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भेंट: एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाके प्रतिनिधिसे

नहीं करता केवल अपनी पाचन शक्ति ही बिगाड़ता है, उसी प्रकार ये विचार भी पचा न सकनेके कारण मस्तिष्कमें बेतरतीब पड़े हैं इसलिए मैं उनका विवरण इस ढंगसे नहीं दे सकता कि वह सुपाठ्य हो सके। इस कारण फिलहाल मैं जिज्ञासुओंसे यही कहूँगा कि वे दर्शकोंके सच्चे विचारोंसे अथवा संवाददाताओंके काल्पनिक चित्रोंसे ही सन्तोष करें। दर्शक पात्रोंकी अपेक्षा नाटकको अधिक अच्छी तरह देखते हैं, इस सिद्धान्त के अनुसार यदि दर्शकोंके विचारोंके साथ संवाददाताओंकी साहसिक कल्पनाका भी समन्वय कर लिया जाये तो उनसे सम्भवतः अ० भा० कांग्रेस कमेटीकी महत्त्वपूर्ण कार्रवाईका एक खाका जनताके सामने आ जायेगा।

फिर भी मैं अपना एक निश्चित मत व्यक्त कर सकता हूँ। यद्यपि मुझे अपने द्वारा प्रस्तुत किये गये चारों प्रस्तावोंपर बहुमत मिला है, फिर भी मुझे यह स्वीकार करना ही होगा कि अपनी समझमें तो मेरी हार ही हुई है। अ० भा० कां० कमेटीकी कार्रवाईने मेरी आँखें खोल दी हैं और अब मैं बड़ी आतुरताके साथ अपना हृदय टटोल रहा हूँ। किन्तु मैं अभीतक कुछ पा नहीं सका हूँ।

मैं कलके समाचारपत्रोंके विवरणों तथा उन्हींके सम्बन्धमें आये हुए किसी सज्जनके तारको पढ़कर दुविधामें पड़ गया हूँ और सोच रहा हूँ कि मेरा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीमें वाइकोम सम्बन्धी प्रस्तावपर जोर देकर केरलके सदस्योंको निरुत्साहित करना ठीक हुआ है या नहीं। साधारणतया तो मैं यहीं मानता हूँ कि इस प्रकारके सभी स्थानीय संघर्षोंको अपने ही बलपर निर्भर करना चाहिए, केन्द्रीय संस्थानसे प्राप्त सहायतापर नहीं। किन्तु वहाँ घटनाओंमें जो नया मोड़ आया है, शायद उनसे अ० भा० कां० कमेटीकी जोरदार घोषणाका औचित्य सिद्ध होता है। मैं कार्यकारिणी समितिसे इस विषयमें कोई प्रस्ताव पास करनेकी सिफारिश अवश्य करूँगा। यदि ये समाचार विश्वसनीय हैं तो उसका यह अर्थ है कि त्रावणकोर राज्यके अधिकारियोंने निर्दोष सत्याग्रहियोंको गुण्डोंके हाथों सौंप दिया है। कहा जाता है कि ये गुण्डे उन सुधारकोंके विरोधी कट्टरपन्थियोंने नियुक्त किये हैं, जिसके लिए सत्याग्रही संघर्ष कर रहे हैं। त्रावणकोर भारतमें एक अत्यन्त प्रबुद्ध राज्य बताया जाता है। यदि मनुष्यताके लिए नहीं तो उसकी कीर्तिकी खातिर ही सही, मैं इन समाचारोंके निराधार साबित होनेकी आशा करता हूँ। यदि सत्याग्रहियोंको गुण्डे निर्दयतापूर्वक पीट रहे हैं तो यह स्थिति बड़ी ही गम्भीर है। उनकी आँखोंमें नींबू निचोड़ा जाता है और उनकी खद्दरकी कमीजें फाड़कर जला दी जाती हैं। मेरी समझमें नहीं आता कि अधिकारी सत्याग्रहियोंसे उनके निर्दोष चरखोंको कैसे छीन सकते हैं। मैं आशा करता हूँ कि त्रावणकोर दरबारकी ओरसे यह स्थिति तुरन्त सुधार ली जायेगी और वे सुधारकों तथा कट्टरपंथियोंके बीच केवल शान्ति बनाये रखनेकी पहले-जैसी अपनी प्रशंसनीय नीतिको फिर अपना लेंगे।

मुझे यह भी आशा है कि सत्याग्रही शान्ति और उद्वेगहीन बने रहेंगे तथा अहिंसाका पालन खास तौरपर करेंगे। यह उनकी अग्नि परीक्षाका अवसर है। यदि वे उन सारे कष्टोंको, जो उन्हें दिये जा रहे हैं, अपनी मर्यादाका ध्यान रखकर तथा बिना बदला लिये झेल सकेंगे तो सफलता निश्चित है। उनके मौन कष्ट-सहनसे गुण्डोंके हृदय