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सम्पूर्ण गांधी वाडमय

भी पिघल जायेंगे और कट्टरपंथी विरोधी भी अनुभव करेंगे कि उन्हें अपने अमानवीय व्यवहारके बदलेमें अपयशके सिवा और कुछ नहीं मिलेगा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू२-७-१९२४

१७४. सन्देश: वाइकोमके सत्याग्रहियोंको

साबरमतती
२ जुलाई, १६९२४

वाइकोमकी परिस्थितिने अप्रत्याशित रूपसे जेसी करवट लो है उससे सत्याग्रहियोंको बहुत बड़ी कठिनाईका सामता करना पड़ेगा। पर सफलताके लिए दो बातें आवश्यक होती है — असीम धैर्य और अट्टठ साहस। घैर्यका अर्थ है अहिसा। सतातनी भल्ले ही आन्दोलूनको विफल करनेमें कोई कसर बाकी न रखें लेकित सुधारकोंको तो यह चाहिए कि वे बदला लिये बिता भीषणसे-भीषण प्रह्मर सहते रहें। साहसका अर्थ है कष्ट सहनेंकी क्षमता। ऐसे सत्याग्रही पर्याप्त संख्याम होने चाहिए जो अत्यन्त परिष्कृत और सुूक्ष्मातिसूक्ष्म यन्त्रणाएँ भी सहनेंको तत्पर हों। मेरा अनुभव है कि जो लोग त्याययुकत कार्यके लिए और ईदवरके नामपर लड़ते हूँ उत्तमें कष्टसहनकी पर्याप्त क्षमता आ जाती है।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, २-७-१९२४

१७५. पराजित और नतमस्तक

संवाददाताओंकी बातोंमें मुझे बहुत कमा दिलचस्पी हुआ करती है; परन्तु उस दित्त एक संवाददाताकी बातोंने मुझे आकर्षित कर लिया। इसलिए मेने मुलाकातके अन्तर्म उसे उसकी आशज्ञासे अधिक दे डाला। उसका प्रइन था कि अगर कांग्रेस अधिवेशनमें दोनों दरूके लोग बराबर-बराबर रहें तो आप क्‍या करेंगे ? मेने इस आशयका जवाब दिया कि ईइहवर एसी विपत्षि टालनेका कोई-न-कोई रास्ता दिखा ही देगा। मेंते यह बात सहज ही और कुछ-कुछ विनोदर्में कही थीं। मुझे यह कल्पना नहीं थी कि बात सच हो जायेगी।

इसा अखिक भारतीय कांग्रेस समितिकी कार्यवाही देखकर मुझे दिल्लीवाली उस महासमितिकी बैठककी याद आ गई जो मेरे जे जानेंके जरा ही पहले हुई थी। जो श्रम दिल्लीमें दूर हो जाना था, वह अहमदाबादमें दूर हुआ।