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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पहला प्रस्ताव भी कबूल नहीं करेंगे। मैंने जुहूमें उनसे यह कहा था और फिर अहमदाबादमें भी । इसलिए इच्छा न होते हुए भी इस कड़वे घूँटको पीकर मैंने कांग्रेस में तबतक बने रहने और कार्यक्रमके संचालनका उत्तरदायित्व निभानेकी बात स्वीकार कर ली जबतक वहाँ इनेगिने लोग ही मेरे पक्षमें नहीं रह जाते ।

मैं कोई छोटा रास्ता नहीं अपनाऊँगा । मुझे तो रास्ता बड़ी ही मन्द गतिसे चलना है । मुझे अपने गर्वको अपनी जेबमें रखकर उस दिनतक काम करना होगा जबतक कि मुझे निकाल ही न दिया जाये ।

मुझे ऊपरसे तो दलका कार्यकर्त्ता बनकर रहना होगा -- और फिर भी यह दिखला देना होगा कि मैं आज भी निर्दलीय कार्यकर्ताकी तरह काम कर रहा हूँ । मुझे अगली सभामें बहुमत प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना होगा और जहाँतक बने निष्पक्ष रहकर काम करनेकी कोशिश करनी होगी। यह बात सत्याग्रहीकी क्षमता के बाहर नहीं है ।

इसके उपाय बहुत ही आसान हैं । ठोस काम ही बहुमत प्राप्त करने के प्रयत्न के आधार हैं।

१. आधा घंटा चरखा कातनेके बाद भी जितना समय और कामोंसे बच रहे वह चरखा कातनेमें ही लगाया जाये ।
२. खादी-प्रचार करनेकी दशामें अतिरिक्त कताईका यह काम बन्द किया जा सकता है ।
३. कांग्रेसके सदस्योंकी संख्या अधिकसे-अधिक बढ़ाई जाये ।
४. मतपत्रों में किसी तरह गड़बड़ न होने पाये ।
५. वोट हासिल करनेके लिए जोड़-तोड़का रास्ता न अपनाया जाये ।
६. मुखालिफ दलकी नुक्ताचीनी न की जाये, हाँ, उनकी नीतिकी आलोचना दूसरी बात है ।
७. मतदाताओंपर बेजा दबाव न डाला जाये ।

प्रतिनिधियों और मातहत समितियोंके सदस्योंके चुनावमें, सुना गया है कि पिछले दिनोंमें दोनों दलवालोंकी ओरसे अनैतिक साधन अख्तियार किये गये थे । भ्रष्टाचारसे बचनेका सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम मतदाताओंको समझाने-बुझानेके सीधे-सही रास्तेसे काम लेनेके बाद उसके फलाफलके विषयमें तटस्थ रहें ।

अपरिवर्तनवादियोंका कार्यक्रम ऐसा ही होना चाहिए जिसे वे सचमुच कार्यान्वित करना चाहते हों । कांग्रेसकी कार्रवाईसे मेरी यही राय और पक्की हो जाती है कि दोनों तरीके एक संस्थाके अधीन काम नहीं दे सकते । स्वराज्यवादियोंका तरीका अंग्रेजोंकी रायको अपने पक्षमें लाना है; यह दल स्वराज्य के लिए ब्रिटिश संसदका मुँह ताकता है; पर अपरिवर्तनवादियोंका तरीका उसके लिए जनताकी ओर देखता है । दोनों तरीके दो परस्पर विरुद्ध मनोवृत्तियोंको प्रदर्शित करते हैं। मैं यह नहीं कहता कि एक सही है और दूसरा गलत। दोनों अपनी-अपनी जगहपर ठीक हो सकते हैं । लेकिन एक संस्थाकी मार्फत दोनोंका अमलमें लाया जाना गोया दोनोंको कमजोर