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बम्बई सरोजिनीको याद रखे

बनाना है और इस तरह मुल्कके कामको नुकसान पहुँचाना है । एक दलके लोग धारा सभाओंके द्वारा राजनीतिक शिक्षण देनेका दावा करते हैं और दूसरा दल यही दावा केवल जनता के बीच काम करने और उसीके द्वारा अपनी संगठन तथा शासन-क्षमताको विकसित करनेकी पद्धतिके द्वारा करता है। एक हमें प्रजाकी उन्नतिके लिए सरकारका मुँह ताकने को कहता है और दूसरा यह दिखानेकी कोशिश करता है कि स्वशासित देशमें राष्ट्रकी उन्नति और विकास में निहायत आदर्श सरकारकी सहायताकी भी बहुत कम आवश्यकता होती है। एक जनताको यह सिखाता है कि अकेले रचनात्मक कार्यक्रम से स्वराज्य नहीं मिल सकता, दूसरा लोगोंको सिखाता है कि अकेले उसीके बलपर स्वराज्य मिल सकता है ।

बदकिस्मती से मैं स्वराज्यवादियोंको इस प्रत्यक्ष सत्यका कायल नहीं कर सका । और मैंने देखा कि कांग्रेसको समान विचार रखनेवाले व्यक्तियोंकी संस्था बनानेके मार्ग में संवैधानिक कठिनाइयां आड़े आती हैं । इसलिए अब इस प्रयत्नको छोड़कर जो अन्य उत्तम बात हो सकती है, वही करें। इस बातका खयालतक न करते हुए कि दिसम्बर में क्या होगा, हम बिना किसी शोरगुलके रचनात्मक कार्यक्रममें जुट जायें --और इस बातपर पूरा विश्वास रखें कि कांग्रेस चाहे इस कार्यक्रमको मंजूर करे या नामंजूर, हमारे लिए तो दूसरा कोई कार्यक्रम है ही नहीं । मैं उन अखबारोंसे, जो अपरिवर्तनवादी कहलाते हैं, कहूँगा कि वे स्वराज्यवादियोंकी किसी तरह की कोई आलोचना न करें। मुझे इस बातका यकीन हो चुका है कि जनता के लिए किसी नीति या कार्यक्रमको बनाने में अखबारोंसे बहुत कम मदद मिलती है । वे अखबारोंको जानते ही नहीं । अपरिवर्तनवादियोंको उन लोगोंतक पहुँचना है और उनके प्रतिनिधि बनना है जिन्हें किसी भी किस्मकी राजनीतिक शिक्षा नहीं मिली है ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ३-७-१९२४

१७६. बम्बई सरोजिनीको याद रखे

श्रीमती सरोजिनी नायडू १२ तारीखको बम्बई लौट रही हैं। मुझे यकीन है कि बम्बई उनका स्वागत उत्साहसे करेगी। कांग्रेसने पूर्वी और दक्षिण आफ्रिका के सुदूर देशोंमें बसे हुए अपने बेटे-बेटियोंके हितोंकी वकालत करने के लिए दूतके रूपमें उन्हें भेजा । इस काम के लिए उनसे अच्छा व्यक्ति मिल ही नहीं सकता था । सरोजिनी भारतके इन बेटे-बेटियोंके लिए सच्चीं माँ सिद्ध हुई हैं और उनकी सेवा करते हुए अथक परिश्रम किया है । मैं उनका अभी बिलकुल हालमें ही प्राप्त एक पत्र बम्बई निवासियोंके सामने रख रहा हूँ । उद्देश्य यह है कि भारतकी यह कोकिला जब अपने मधुर संगीत से भारतीयोंके श्रवणोंको आनन्दित करनेके लिए वहाँ पहुँचे तो बम्बईके लोग अपने कर्त्तव्यका पालन करना न भूलें । पत्र इस प्रकार है :[१]

  1. १. आंशिक रूपसे उद्धृत ।