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लगता है, आपके सामने हिन्दू-मुस्लिम सम्बन्धोंका सिर्फ वही पहलू पेश किया गया है जो अच्छा नहीं है; में आपके सामने उसके उज्ज्वल पक्षका एक उदाहरण पेश करना चाहता हूँ ।

तिरुपति एक छोटी-सी जगह है, जिसकी आबादी सिर्फ १८,००० है । इसमें से सिर्फ ५०० मुसलमान हैं और शेष सब हिन्दू । आप जानते ही होंगे कि यह हिन्दुओंका तीर्थ है और भारतके सभी भागोंसे हजारों लोग प्रतिदिन यहाँ आते-जाते रहते हैं। स्वभावतः यहाँ हिन्दू लोग बड़े प्रभावशाली हैं। मन्दिरका महन्त उत्तर भारतका एक वैरागी है और सरकारपर भी उसका बड़ा प्रभाव है। . . .पिछले सितम्बर मासमें एक प्रमुख मुसलमानने रमजानका महीना मनानेके लिए शहर के (एकमात्र मुख्य ) आम रास्तेके आरपार कागजकी झण्डियाँ लगाई थीं और उसमें एक लाल कपड़ा लगा दिया, जिसके एक ओर लिखा था 'जश्ने रमजान' और दूसरी ओर था “पैगम्बरोंके पैगम्बर" ।... मन्दिर के अधिकारियोंने, उधरसे होकर हिन्दू देवताकी जो बहुत-सी झाँकियाँ निकलती थी, उन्हें बन्द करवा दिया। उन्हें डर था कि उधरसे झाँकी ले जानेसे कहीं कोई फसाद खड़ा न हो जाये, लेकिन इसमें भी लगता है, उन्हें ज्यादा खयाल मुसलमानोंकी भावनाओंका ही था । लेकिन एक दिन झाँकीको रोका नहीं जा सका और वह उधरसे होकर निकाली गई ।... जब झाँकी कानके पास आई तो एक ओर हिन्दुओंने झण्डियोंको हटवा देना चाहा, लेकिन दूसरी ओर मुसलमान भाइयोंने कपड़ा हटानेसे भी इनकार कर दिया। संयोग से उस समय भी उधर से गुजरा . . . जरूरत पड़ने पर जूझ पड़नेके लिए सौ-एक मुसलमानोंको फिर भी एकत्रित देखा । जब मैंने अपेक्षाकृत शान्त और समझदार दिखनेवाले हिन्दुओंसे कहा कि झण्डियोंके नीचेसे झाँकी ले जाने में हिन्दू धर्मकी कोई अप्रतिष्ठा नहीं होगी तो उन्होंने कहा कि मैं मुसलमानोंका पक्षपाती हूँ। इतना ही नहीं, वे मुझे पीटने के लिए भी आपसमें कानाफूसी करने लगे। इसी बीच मन्दिरके दो-तीन अधिकारियोंने वहाँ पहुँचकर बड़े ही नाटकीय ढंगसे घोषित किया कि झाँकी बन्दनवारके नीचेसे ही जायेगी । हिन्दुओं को अपने लिए पुलिसकी मददकी कोई जरूरत नहीं। यह घोषणा करते ही मुसलमानोंका रुख तुरन्त बदल गया। उन्होंने कहा कि उन्होंके आदमी ऊपर चढ़कर कागजको झण्डियाँ ऊँची उठा दें, ताकि देवताको प्रतिमा अथवा उससे किसी भी अलंकरणका स्पर्श न हो पाये और कपड़ेको तो उन्होंने तत्काल हटा देने को कहा । . . .

. . . हकीम साहबने दो-तीन दिन बाद मुझे बुला भेजा। मिलनेपर उन्होंने कहा कि मुसलमानोंने हिन्दुओं की तुलनामें जो विवेकहीनता दिखाई, उसके बावजूद हिन्दुओंने जैसा उदार व्यवहार किया उसके कारण मुझे तो किसी हिन्दुसे