पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/३९४

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१८७. तार : मथुरादास त्रिकमजीको

[ ७ जुलाई, १९२४ या उसके पश्चात् ]

कोई खराबी नहीं, केवल कमजोरी ।

[१]

गांधी


अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ८९९०) की फोटो-नकलसे ।

१८८. तार : ढाका राष्ट्रीय महाविद्यालय के छात्रोंको

[९ जुलाई, १९२४ या उसके पश्चात् ]

[२]

यदि कोई सहायता नहीं मिलती तो छात्र संगठित हों । आपस में मिलकर अध्ययन और कार्य करें ।

गांधी


अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ८९९३) की फोटो-नकलसे ।

१८९. टिप्पणियाँ

कौंसिल प्रवेश

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीका अधिवेशन समाप्त होनेपर पण्डित मोती- लालजी एक पारिवारिक मुलाकात के लिए राजकोट गये और वहाँसे बम्बई जाते वक्त अहमदाबाद रुके। वहीं हम दोनोंकी मुलाकात हुई। बातचीत में मेरे मुँहसे यह बात निकल पड़ी कि अब आजकी हालत में स्वराज्यवादियोंका कौंसिलें छोड़ना बहुत ही घातक होगा। उन्होंने मुझे फौरन याद दिलाई कि पहले तो आपने लिखा थ कि यदि आप स्वराज्यवादियोंको कायल कर सकते तो उनसे कौंसिलोंमें से निकल

  1. १. यह तार मथुरादासके उस तारके उत्तरमें दिया गया था जो उन्होंने गांधीजीके स्वास्थ्यके बारेमें पूछताछके लिए कृष्णदासको भेजा था। यह ७ जुलाई, १९२४ को प्राप्त हुआ था ।
  2. २. यह ढाका राष्ट्रीय महाविद्यालय के छात्रोंके उस तारके उत्तरमें दिया गया था जो उन्होंने ९ जुलाई, १९२४ को भेजा था। तार इस प्रकार है : "महाविद्यालयके अधिकारियोंने तार दबा दिया। स्कूलोंके बहिष्कारमें आचार्य और प्राध्यापकोंका अविश्वास । उनके अधीन कैसे पढ़ें। स्पष्ट तार । जिलानी तीस जिन्दावहार ढाका" । देखिए "तार : जी० नलगोलाको”, ५-७-१९२४ या उसके पश्चात् ।