पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/३९७

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इसमें जरा भी सन्देह नहीं कि इस विधानमें भारी रद्दोबदलकी जरूरत है। हमें काममें कुशलता और तत्परता लानी चाहिए और यदि हम लोग, जिन्हें इस संस्थाके संविधानपर अमल करना है, ईमानदार नहीं हैं या कुशलता तथा तत्परताके इच्छुक नहीं हैं तो संविधानके सर्वांगपूर्ण रहनेपर भी काममें कुशलता और तत्परताकी पक्की आशा नहीं की जा सकती ।

उचित फटकार

पंजाब सरकारने अपनी एक विज्ञप्तिमें जनताको फटकार बताई है, जो बहुत उचित है । विज्ञप्ति में उसने हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों, जातियों द्वारा प्रकाशित उन अखबारोंके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनेका इरादा जाहिर किया है, जिन्होंने एक दूसरे के धर्मपर कीचड़ उछालना ही अपना धन्धा बना रखा है । विज्ञप्ति इस प्रकार है :


पिछले कुछ समय से पंजाब सरकार देख रही है कि इस प्रान्तमें हिन्दू और मुसलमान, दोनों कुछ ऐसे अखबार प्रकाशित कर रहे हैं जिनमें एक-दूसरेके बारेमें और एक दूसरेके धर्मके बारेमें उत्तेजनात्मक और गाली-गलौज भरी सामग्री छपती रहती है । इस कुत्सित प्रचारको सरकार बड़ी चिन्ताकी दृष्टिसे देखती रही है। इसमें बहुत ही गन्दी भाषाका प्रयोग किया जाता है और कभी-कभी तो भाषा अश्लील तक होती है । सरकारको आशा थी कि इस गन्दगी और अश्लीलतासे दोनों जातियों के प्रतिष्ठित लोग क्षुब्ध हो उठेंगे और ये अखबारवाले भी समझ जायेंगे कि जनताके किसी भी हिस्सेपर उनके लेखोंका कोई असर नहीं पड़ रहा है। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि सरकार की यह आशा पूरी नहीं हुई और सरकारको मजबूर होकर दो अपराधी अखबारोंके खिलाफ मुकदमे चलाने पड़े हैं। सरकारको दोनों जातियोंके नेताओंकी समझदारीपर भरोसा है और उसे आशा है कि धार्मिक विद्वेष की इस अत्यन्त आपत्तिजनक अभिव्यक्तिको दबाने में वे हर तरहसे अपनी सामर्थ्य-भर उसकी सहायता करेंगे ऐसे प्रचारसे दो महान जातियोंके सद्भावनापूर्ण सम्बन्धोंको बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

खेदके साथ स्वीकार करना पड़ेगा कि यदि जनताने इन अखबारोंके खिलाफ जुटकर काम किया होता तो यह बन्द किये जा सकते थे। अब भी ऐसी ही आशा करनी चाहिए कि सम्बन्धित प्रकाशक अपने धर्म-विरुद्ध आचरण के लिए क्षमा-याचना करेंगे और इन अखबारोंका प्रकाशन बन्द कर देंगे ।

स्वराज्य के अन्तर्गत सरकारी नौकरियाँ

पटना निवासी श्री अली हसनने मेरे इस सुझावपर आपत्ति की है कि स्वराज्य सरकारमें लोगोंको जातीय अनुपातके अनुसार नहीं, बल्कि विशुद्ध रूपसे योग्यताके आधारपर नौकरियाँ दी जानी चाहिए। वे एक सामान्य रूपसे प्रचारित कथनको