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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उदाहरणस्वरूप पेश करते हुए कहते हैं कि आज अधिकांश अच्छे-अच्छे पदोंपर हिन्दू लोग ही आसीन हैं। मेरे पास कोई आँकड़े नहीं जिनके आधारपर मैं इस कथनके सत्यासत्यपर विचार करूँ । लेकिन, अगर उनकी बात सच हो, तब भी मेरे विचारमें कोई फर्क नहीं आयेगा। वर्तमान सरकारको मुख्यतः अपनी स्थिति सुदृढ़ रखनेकी ही चिन्ता है और इसलिए जो पक्ष सबसे ज्यादा शोरगुल मचाता है, उसे सन्तुष्ट करके वह अपनी स्थिति सुरक्षित रखना चाहती है । इस सरकारके अधीन हम जो वस्तुस्थिति देखते हैं, उसे देखकर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता । न्याय करनेका एकमात्र रास्ता यही है कि जो जातियाँ शिक्षाके क्षेत्रमें पिछड़ी हुई हैं, उन्हें शिक्षाकी विशेष सुविधा दी जाये। पिछड़े हुए लोगोंका स्तर ऊँचा उठाना सरकारका कर्त्तव्य है, लेकिन उसका उतना ही महत्वपूर्ण कर्त्तव्य यह भी है नियुक्तिके मामलेमें वह कार्यक्षमता और चरित्रको ही एकमात्र कसौटी बनाये । नियुक्ति करते समय अधिक से अधिक निष्पक्षता बरतनेकी व्यवस्था अवश्य रखनी चाहिए, लेकिन इस मामलेमें जातीय अनुपातके आधारपर कोई निश्चित नियम नहीं बनाया जा सकता ।

हिन्दू कौन हैं ?


इस सिलसिले में श्री अलीहसनने एक अजीब बात कही है। वे कहते हैं :

आज तो हिन्दुका मतलब सिर्फ ब्राह्मण और कायस्थ रह गया है। उन्हें अछूतों को अपने अन्दर शामिल करके उनसे फायदा उठानेका कोई हक नहीं है, जब कि वे उनके साथ बराबरीका व्यवहार करनेके लिए तैयार नहीं हैं। नीची जातिवाले बिलकुल अलग किस्मके लोग हैं और उनके साथ अच्छा सलूक होना चाहिए। हिन्दुओं और मुसलमानोंको उनका तथा दूसरी अल्पसंख्यक जातियोंका भी लिहाज करना चाहिए।

अगर मुझे यह न मालूम होता कि बहुतसे मुसलमानोंका ऐसा खयाल है तो मैं इस बातपर ध्यान भी न देता । श्री अलीहसन तो अन्य लोगोंसे एक कदम और आगे बढ़कर मानते हैं कि तमाम नीची जातियाँ हिन्दुओंसे अलग हैं। किसी भी मुसलमान के लिए ऐसा मानना एक खतरनाक बात है; क्योंकि इसका मतलब इस बातका फैसला करनेकी कोशिश करना है कि कौन हिन्दू है और कौन नहीं। अच्छा, तो इनकी रायमें अकेले ब्राह्मण और कायस्थ ही हिन्दू हैं -- क्षत्रिय लोग हिन्दू नहीं हैं । तब तो हिन्दुओंकी संख्या बहुत ही थोड़ी है। सच तो यह है कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरेके बारेमें इस बातका फैसला नहीं कर सकता कि वह कौन है । अछूतोंने इस बातका फैसला स्वयं ही किया है कि वे कौन हैं। मुझे अभीतक एक भी ऐसा अछूत नहीं मिला, जिसने अपनेको हिन्दू न बताया हो । हाँ, धर्म-परिवर्तन करनेवाले लोग अवश्य ही इसमें शामिल नहीं हैं ।

बेहतर प्रशासक कौन है ?

श्री अलीहसन आगे लिखते हैं कि आपने इस बातको तो क़बूल किया ही है। कि मुसलमान लोग हिन्दुओंसे बेहतर प्रशासक होते हैं; इसलिए आपके लिए इस