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टिप्पणियाँ

बातको मान लेनेमें कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए कि मुसलमानोंको प्रशासनमें समान अनुपातसे जगहें दी जायें। मैंने ऐसी कोई बात क़बूल नहीं की है। उनके पास मेरा एक पोस्टकार्ड है जिसमें नहीं (नाट) शब्द भूलसे लिखना रह गया है ।[१] ज्यों ही मैंने वह पोस्टकार्ड अखबारोंमें छपा देखा, मैंने तुरन्त उस भूलकी सूचना उन्हें दे दी । मुसलमान हिन्दुओंसे कितनी ही बातोंमें बेहतर हैं; पर मैंने उन्हें बेहतर प्रशासक कभी नहीं माना। अगर बन सके तो मैं हर क्षेत्रमें उन्हें श्रेय देना चाहूँगा । उस अवस्थामें न तो झगड़ोंके लिए और न ईर्ष्या-द्वेषके लिए कोई कारण रहेगा । एक ही काममें लगे बराबरीके लोगोंमें ईर्ष्या-द्वेष आम तौरपर होता ही है। वकील लोग एक-दूसरे से ईर्ष्या-द्वेष करते हुए देखे जाते हैं, पर मैंने उन्हें डाक्टरोंसे ईर्ष्या करते हुए कभी नहीं देखा । पर फर्ज कीजिए कि मुसलमान लोग बेहतर प्रशासक हैं; तो फिर उस हालत में एक निष्पक्ष और खुली प्रतियोगितामें उन्हें केवल पचास प्रतिशत ही क्यों, शत-प्रतिशत स्थान पा जानेमें कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए और हिन्दुओंकी इस हारपर मेरी आँखोंसे एक भी आँसू न गिरेगा। मौलाना शौकत अलीको मैंने पहले ही कह रखा है कि यदि भारतीय गणतन्त्रका या ऐसी ही किसी चीजका में प्रथम अध्यक्ष हुआ तो उन्हें पहला सेनाध्यक्ष और उनके भाईको शिक्षा-मन्त्रीके पदपर नियुक्त करूँगा । हो सकता है यह रिश्वत ही हमारी मित्रताका कारण हो, पर मुसलमानोंको मैं सावधान कर देता हूँ कि इससे वे कहीं यह अनुमान न निकालें कि मैं मुसलमानोंको अन्य जातियोंकी तुलनामें आम तौरपर बेहतर सैनिक और शिक्षा शास्त्री मानता हूँ। मेरी अपनी राय तो यह है कि कुल मिलाकर हम सब प्रायः समान योग्यतावाले लोग हैं और यदि निष्पक्षता बरती जाये तो कोशिश करनेपर किसी भी खुले मुकाबले में हम एक-दूसरेको हरा सकते हैं ।

भूल-सुधार

'यंग इंडिया' में अपनी टिप्पणियोंमें मैंने यह सूचना दी थी कि रीवाँ राज्यमें भी भोपाल-जैसा एक कानून है। उसके सम्बन्धमें एक सज्जन लिखते हैं:

वाँ राज्य में ऐसा कोई कानून लागू नहीं है जिसके अनुसार हिन्दुओंके मुसलमान बनाये जानेपर रोक हो और न अपना धर्म बदलनेवाले अथवा किसीका धर्म बदलवानेवालेके लिए ही किसी सजाका विधान है ।

हाँ, यह सच है कि किसी भी हिन्दूके लिए अपना धर्म बदलनेसे पहले दरबारकी मंजूरी लेना जरूरी है। इस आदेशका उल्लंघन करनेवालेपर आदेश-उल्लंघनके लिए विहित साधारण तरीकेसे मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे सजा दी जा सकती है। कुछ लोग आर्थिक लाभकी आशासे या वेश्यावृत्ति या अन्य गैरकानूनी उद्देश्य साधनेके लिए धर्म-परिवर्तन करते हैं। इस आदेशका उद्देश्य धर्म परिवर्तनके ऐसे मामलोंपर समाजकी स्वच्छता और कल्याणकी दृष्टिसे स्वस्थ और हितकर अंकुश रखना है ।

  1. १. देखिए “पत्र; अलीहसनको", २४-५-१९२४ ।
    २४-२४